चुनाव आयोग उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर अलर्ट, लेकिन सरकार सुस्त

चुनाव आयोग : चुनाव आयोग जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगा, क्योंकि जगदीप धनखड़ ने पद छोड़ दिया है। हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय ने मंगलवार को उनके इस्तीफे की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके बाद चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है। हालांकि सरकार इस चुनाव को लेकर जल्दी में नहीं है और शायद मौजूदा संसद सत्र में चुनाव कराने की कोई खास योजना नहीं है।

धनखड़ के इस्तीफे को राष्ट्रपति मुर्मू ने दी मंजूरी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना सरकारी गजट में जारी कर दी। अब उपराष्ट्रपति का पद खाली हो गया है, इसलिए जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव कराना जरूरी होगा। चूंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं, इसलिए अब यह पद भी रिक्त हो गया है और इसकी जिम्मेदारी किसी को जल्द संभालनी होगी।

राज्यसभा से बिना औपचारिक विदाई के गए उपराष्ट्रपति धनखड़

मंगलवार सुबह राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कार्यवाही की शुरुआत की, लेकिन उपराष्ट्रपति धनखड़ उपस्थित नहीं थे। उनके सम्मान में न तो कोई औपचारिक विदाई समारोह हुआ और न ही कोई विदाई संबोधन दिया गया। भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी ने बताया कि राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना भी सदन में पढ़ी गई। पहले कयास थे कि सरकार उन्हें मनाने की कोशिश करेगी, लेकिन इस्तीफा मंजूर होने से वह खत्म हो गए। विपक्ष ने उनके काम की तारीफ की है।

उपराष्ट्रपति पद खाली, लुटियंस दिल्ली में बंगले का होगा आवंटन

ऐसा माना जा रहा है कि सरकार संसद के इस सत्र में उपराष्ट्रपति का चुनाव कराने की जल्दी में नहीं है। संविधान में यह जरूरी नहीं है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव तुरंत कराना जरूरी नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 68(2) के मुताबिक, उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराना होता है, लेकिन इसके लिए कोई तय समय सीमा नहीं है। पद छोड़ने के बाद धनखड़ को उपराष्ट्रपति का आधिकारिक आवास खाली करना होगा। उपराष्ट्रपति का आधिकारिक निवास खाली करना होगा। उन्हें लुटियन दिल्ली में नया सरकारी बंगला मिलेगा और सुरक्षा पहले जैसी बनी रहेगी।

एक इस्तीफा, कई अटकलें

धनखड़ के इस्तीफे के अगले दिन भी सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा में विपक्ष का जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग नोटिस स्वीकार धनखड़ का फैसला पद छोड़ने की वजह बना। सरकार लोकसभा से एकता दिखाना चाहती थी, क्योंकि वहां दोनों पक्षों के सांसदों के हस्ताक्षर थे। राज्यसभा के नोटिस में सत्तापक्ष की तरफ से समर्थन नहीं मिलने पर सरकार असहज महसूस करने लगी। इसी कारण नाराज़ होकर न तो उन्हें औपचारिक विदाई दी गई और न ही उनके योगदान के लिए कोई सराहना व्यक्त की गई।