राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग की बड़ी प्रतिक्रिया

राहुल गांधी : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी के आरोपों पर राहुल गांधी के लेख पर निर्वाचन आयोग से सफाई मांगे जाने के एक दिन बाद, आयोग से जुड़े सूत्रों ने रविवार को कहा कि यह संवैधानिक संस्था तभी प्रतिक्रिया देगी जब विपक्ष के नेता उसे सीधे पत्र भेजेंगे।
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने अपने संपर्क अभियान के तहत सभी छह राष्ट्रीय पार्टियों को अलग-अलग बातचीत के लिए बुलाया था। बाकी पांच पार्टियों ने आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की, लेकिन कांग्रेस ने 15 मई की बैठक को रद्द कर दिया।

सीसीटीवी रिकॉर्डिंग की मांग पर मिला जवाब

राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों की शाम की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग मांगे जाने पर सूत्रों ने कहा कि निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, ऐसे मामलों की जांच केवल सक्षम उच्च न्यायालय ही कर सकता है, अगर चुनाव याचिका दायर की गई हो। एक अधिकारी ने बताया कि चुनाव आयोग मतदान की निष्पक्षता और मतदाताओं की गोपनीयता बनाए रखने के लिए ऐसा करता है। उन्होंने पूछा कि राहुल गांधी मतदाताओं की गोपनीयता क्यों भंग करना चाहते हैं, जबकि आयोग को इसकी रक्षा करनी होती है।

आयोग ने कल राहुल के आरोपों का दिया जवाब

इससे पहले चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को बेबुनियाद बताया और इसे कानून व्यवस्था का अनादर कहा। आयोग ने कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और मतदाता सूची को लेकर लगाए गए आरोप सही नहीं हैं और कानून का अपमान हैं। चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस को भेजे जवाब में सभी जरूरी जानकारी दे दी थी, जो आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। बार-बार ऐसे मुद्दे उठाकर इन बातों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

तथ्यों पर आधारित चुनाव आयोग का जवाब

महाराष्ट्र चुनाव में सुबह 7 से शाम 6 बजे तक 6.4 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट डाले। आखिरी दो घंटों में 65 लाख वोट पड़े, जो औसत से कम है। कांग्रेस एजेंटों ने कोई गड़बड़ी की शिकायत नहीं की।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सुबह 7 से शाम 6 बजे तक 6.4 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट डाला। हर घंटे करीब 58 लाख वोट पड़े। इस हिसाब से आखिरी दो घंटे में करीब 116 लाख वोट पड़ने चाहिए थे, लेकिन सिर्फ 65 लाख वोट पड़े, जो सामान्य रुझान से कम है।

सभी पोलिंग बूथों पर उम्मीदवारों के अधिकृत एजेंटों की मौजूदगी में वोटिंग हुई। कांग्रेस के एजेंटों ने अगले दिन कोई शिकायत नहीं की और रिटर्निंग ऑफिसर या पर्यवेक्षकों के सामने कुछ भी असामान्य नहीं बताया।

भारत में वोटर लिस्ट जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के अनुसार तैयार होती है। हर साल या चुनाव से पहले इसे अपडेट किया जाता है और सभी पार्टियों को इसकी प्रति दी जाती है।