स्वतंत्र समय, भोपाल
हाईकोर्ट बेंच इंदौर एवं श्रमायुक्त कार्यालय इंदौर द्वारा प्रदेश आउटसोर्स श्रमिकों ( outsourced workers ) को वेतन पुनरीक्षण पश्चात बढ़े हुए न्यूनतम वेतन का 11 माह का एरियर दिए जाने के निर्देश थे, लेकिन दो माह बाद भी बिजली कंपनियों ने 35 हजार कर्मचारियों के मिनिमम वेजेस का आदेश जारी नहीं किया।
outsourced workers ने सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
इस मामले में रविवार को कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस मुद्दे को लेकर आक्रोशित प्रदेश भर के बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों ( outsourced workers ) ने रविवार को भोपाल के शाहजहांनी पार्क में आमसभा की, जिसके बाद पुलिस प्रशासन की मदद से एक 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर सीएम स्टाफ को बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधि मण्डल में राहुल मालवीय, दिनेश सिसोदिया, सतीश साहू एवं सोनी सूर्यवंशी शामिल थे। भार्गव का कहना है कि प्रदेश की सभी छह बिजली कंपनियों में 80 प्रतिशत मानव बल ठेकेदारों द्वारा ठेके उपलब्ध कराया जाता है, जिसकी अवधि 30 अप्रैल को खत्म होने वाली हैं। ऐसी स्थिति में जब ठेके खत्म हो जाएंगे, तो बिजली आउटसोर्स श्रमिकों को बकाया एरियर राशि कौन भुगतान करेगा?
एक-दूसरे को ठहरा रहे उत्तरदायी
भार्गव ने कहा-फिलहाल ठेकेदार और बिजली कंपनी बकाया एरियर नहीं देने के मामले में एक-दूसरे को उत्तरदायी ठहरा रहे हैं। कुछ जगह बजट नहीं होने का बहाना गढ़ा जा रहा है, जबकि इसका बजट तो 1 अप्रैल 2024 को ही आवंटित हो चुका था। हकीकत यह है कि बकाया एरियर भुगतान मामले में ठेकेदार को किसी प्रकार का कमीशन नहीं मिलना है, इसलिए इस मामले में ठेकेदार कोई रूचि नहीं दिखला रहे हैं। भार्गव का कहना है कि यदि आउटसोर्स श्रमिकों को बढ़ा हुआ वेतन देने एवं एरियर देने में मानव बल ठेकेदार विफल हैं, तो नियमानुसार प्रिंसिपल नियोक्ता, बिजली कम्पनी को इसका भुगतान स्वयं करना चाहिए। जबकि बिजली सेक्टर में सबस्टेशन ऑपरेटर एवं मीटर रीडरों से जोखिमपूर्ण कार्य तो लिया जा रहा है।