elephants की मौत के मामले में लापरवाही, बदलेगा पूरा स्टॉफ

स्वतंत्र समय, भोपाल

पहले 46 बाघों की मौत और फिर 10 हाथियों ( elephants ) की मौत से चर्चा में आए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पूरा स्टाफ बदलने की तैयारी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की नाराजगी के बाद वन विभाग इसकी कवायद में जुट गया है। खासकर फील्ड में सालों से एक ही स्थान पर पदस्थ अधिकारियों तथा कर्मचारियों को हटाने के लिए सूची तैयार की जा रही है।

तीन साल में 155 बाघ और 10 elephants की मौत

दरअसल, ऐसे कई अधिकारी- कर्मचारी है, जो सालों से बांधवगढ़ में एक ही जगह पदस्थ हैं। इस घटना के बाद बांधवगढ़ में वर्ष 2021 से अब तक 46 से अधिक बाघों की मौत पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने संज्ञान लिया था, वहीं हाथियों ( elephants ) की मौत पर पीएमओ ने रिपोर्ट तलब की है। इसी बीच दिल्ली से भोपाल आए महानिदेशक (डीजी) फॉरेस्ट जितेंद्र कुमार के समक्ष भी वन विभाग के अधिकारियों ने प्रदेश में वन्यजीव प्रबंधन की कार्ययोजना प्रस्तुत की थी। डीजी जितेंद्र कुमार ने भी बाघों और हाथियों की मौत पर चिंता जताई है। इस बार 10 की जगह 25 वर्ष की वन्यप्राणी प्रबंधन कार्ययोजना बनाई जाएगी। इसी आधार पर केंद्र सरकार से बजट मांगा जाएगा। बाघों की बात करें तो प्रदेश में वर्ष 2021 से मार्च, 2024 के बीच 155 से अधिक बाघों की मौत हो चुकी है। इसमें भी सर्वाधिक बाघों की मौत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व व उससे सटे जंगल में हुई है। बांधवगढ़ में 46 से अधिक बाघों की मौत हुई है।

जांच में भी मिली लापरवाही

बांधवगढ़ में बाघों की मौत के लिए शिकार से लेकर उनके बीच आपसी संघर्ष और सामान्य मृत्यु के तथ्य सामने आए हैं। बाघों की मौत की जांच के लिए बनाई गई समिति ने मौके पर पहुंचकर हर पहलू की जांच की। इसमें चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। घटनास्थल की जांच के दौरान श्वान दल और मेटल डिटेक्टर नहीं ले जाया गया। साक्ष्य भी सुरक्षित नहीं रखे गए। बाघ की मौत के अधिकांश प्रकरणों में रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की गई गई। शिकार वाले क्षेत्रों में सुरक्षा इंतजाम ही नहीं थे। यह रिपोर्ट स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) प्रभारी रितेश सरोठिया ने तत्कालीन प्रभारी वन्यप्राणी अभिरक्षक सुभरंजन सेन को सौंपी थी, जो आज तक सार्वजनिक नहीं हुई है।