कर्मचारियों के transfer 15 अगस्त के बाद, मंत्रियों के होंगे वारे-न्यारे

स्वतंत्र समय, भोपाल

विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद तबादलों ( transfer ) का इंतजार कर रहे प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के लिए राहत मिलने जा रही है। राज्य सरकार जिला स्तर पर तबादले की प्रक्रिया 15 अगस्त के बाद शुरू कर सकती है। इससे प्रभारी मंत्रियों के बारे-न्यारे हो सकते है, वहीं स्टाफ भी चांदी काटने की तैयारी में है। जीएडी ने तबादला नीति तैयार कर ली है, जिसका विभागीय मंत्री से अनुमोदन हो गया है। अब कैबिनेट अंतिम मुहर लगाएगी। विभाग कैबिनेट के लिए प्रस्ताव भेज रही है।

15 दिन के लिए transfer से रोक हटाई थी

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कर्मचारियों की मांग पर 15 दिन के लिए तबादलों ( transfer ) से रोक हटाई थी। तब 15 से 30 जून तक तबादले किए गए थे। जिसे 7 जुलाई तक बढ़ाया भी गया था। इस अवधि में चुनाव के मद्देनजर जमावट जमाई गई। जिस कारण प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले नहीं हुए। नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव आ गए और फिर मई 2024 में लोकसभा चुनाव हुए। चुनावों की वजह से मंत्रियों को तबादले करने के अधिकार नहीं मिल सके। लेकिन अब जिले में प्रभारी मंत्री और विभागीय मंत्री ट्रांसफर के नाम पर बारे-न्यारे कर सकते हैं। ट्रांसफर को लेकर इस बार अभी तक रेट तय नहीं हुए हैं, जबकि अधिकारियों से लेकर कर्मचारी भी ट्रांसफर कराने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं।

संवर्ग में 20 प्रतिशत ट्रांसफर संभव

वैसे तो नीति कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही सामने आएगी, लेकिन बताया जा रहा है कि किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं किए जाएंगे। सरकार सभी विभागों को 15 दिन के लिए 20 प्रतिशत तबादले करने की अनुमति देगी। इसमें प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के तबादले मुख्यमंत्री, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के विभागीय मंत्री और जिले में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से कलेक्टर तबादले कर सकेंगे।

प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर नहीं हो सके

वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची की तैयारी के चलते निर्वाचन कार्य से सीधे जुड़े कलेक्टर, अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, शिक्षक और पटवारियों के ट्रांसफर पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि 3 वर्ष से एक ही स्थान पर पदस्थ अधिकारियों के तबादले जरुर किए गए। लोकसभा चुनाव के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई गई। चुनाव का दौर निकल गया। अब मोहन सरकार के मंत्री और विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में अपने हिसाब से अधिकारियों-कर्मचारियों की पदस्थापना करा ना चाहते हैं। यही कारण है कि तबादलों से रोक हटाने की बात मंत्रियों की बैठक में होती रही है।