EN 182/5MW टर्बाइन से एनविज़न एनर्जी को मिला बड़ा ऑर्डर, AEP में 40% का इज़ाफा

एनविजन एनर्जी इंडिया को 28 मई, 2025 को अपने मॉडल संख्या EN-182/5.0 50 Hz TC के लिए आरएलएमएम की मंजूरी प्राप्त हुई। नया EN-182/5.0 मेगावाट टरबाइन 181 मीटर रोटर व्यास, 105.56 मीटर हब ऊंचाई और ट्यूबलर स्टील टॉवर के साथ 89 मीटर ब्लेड से सुसज्जित है। इसे डीएनवी (DNV) से IEC 61400- 22:2010 टाइप सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ है, जिसकी वैधता 16 फरवरी, 2026 तक है।

एनविज़न एनर्जी ने अपने आईपीपी ग्राहकों से EN-182/5.0 मेगावाट प्लेटफॉर्म के लिए 2 गीगावाट ऑर्डर बुक किया है, जिसकी डिलीवरी 2025 की तीसरी तिमाही से शुरू होगी।तिरुचिरापल्ली स्थित ब्लेड विनिर्माण इकाई तथा पुणे स्थित नैसेल और हब संयंत्र, दोनों ही हमारे ग्राहकों को ये मशीनें उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

भारत में पवन टरबाइन बेचने के लिए किसी भी ओईएम को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) से आरएलएमएम की मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य है।यह नया प्लेटफॉर्म, मौजूदा EN 156/3.3MW प्लेटफॉर्म की तुलना में वार्षिक ऊर्जा उत्पादन (एईपी) में 40 प्रतिशत से अधिक वृद्धि करता है, जिससे ग्राहकों को महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होता

है।यह प्लेटफॉर्म, जिसमें बड़ा स्वीप्ट क्षेत्र है और टरबाइन परिचालन तापमान को 50 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाया गया है, एनविज़न की तकनीकी क्षमता का प्रमाण है।

एनविज़न के नए 5 मेगावाट ऑनशोर प्लेटफ़ॉर्म में धुएं और आग का पता लगाने की उन्नत सुविधाएं शामिल की गई हैं। कंपनी अपने स्थानीयकरण प्रयासों को भी आगे बढ़ा रही है, जिसका उद्देश्य EN156/3.3 मेगावाट प्लेटफ़ॉर्म के लिए स्थानीयकरण स्तर को 60 से 80 प्रतिशत तक बढ़ाकर नए प्लेटफ़ॉर्म के लिए मज़बूत और सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करना है।

एनविज़न एनर्जी इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री आरपीवी प्रसाद ने कहा – 5 मेगावाट प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत और आरएलएमएम की मंजूरी भारत में नवाचार और गुणवत्ता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। भारतीय पवन परिस्थितियों के अनुरूप डिज़ाइन किया गया EN182-5.0 मेगावाट प्लेटफ़ॉर्म भारतीय बाज़ार के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। हम पहले से ही उच्च पवन क्षेत्रों में मौजूद हैं, और यह नया प्लेटफ़ॉर्म कम पवन क्षेत्रों में भी बिजली उत्पादन के लक्ष्य से समझौता किए बिना अधिक दक्षता के साथ कार्य करेगा। इससे यह प्लेटफ़ॉर्म व्यावहारिक और लागत प्रभावी विकल्प के रूप में सामने आएगा।