सीताराम ठाकुर, भोपाल
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ( EOW ) ने लोक निर्माण विभाग के पांच अधिकारियों पर जालसाजी, कूट रचित दस्तावेज तैयार करने, आपराधिक षड्यंत्र रचने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज किया है। आरोपियों ने भोपाल के चर्चित बिल्डर और कंसलटेंट एलएन मालवीय के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया। इन्होंने सरकार को 13.86 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। इस पूरे मामले में पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन ईएनसी नरेन्द्र कुमार भी शामिल हैं। उधर, कंसलटेंट को बचाने में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर जुट गए हैं।
EOW ने भ्रष्टाचार अधिनियम में केस दर्ज किया
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ( EOW ) ने इसके पूर्व भी नरेन्द्र कुमार अपने बेटे की कंपनी को फंडिंग करने के मामले में फंसे थे। मामले की जांच भी हुई थी, जो अब तक पेंडिंग है। इसके बाद भी साठगांठ के आधार पर नरेंद्र कुमार ईएनसी बने रहे। जानकारी के अनुसार, प्रदेश के राज्य एवं मुख्य जिला मार्गों पर पुल के निर्माण के लिए सुपरविजन कंसलटेंसी जबलपुर का ठेका स्वीकृत हुआ था। इस निर्माण एजेंसी के लिए कंसल्टेंट एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड भोपाल को अधिकृत किया गया था। कुल 106 पुलों के निर्माण की निविदाओं की लागत 12.25 करोड़ रुपए थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के एनडीबी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर और फाइनेंशियल एडवाइजर सहित अन्य तीन अधिकारियों ने मिलीभगत करते हुए एलएन मालवीय को 26 करोड़ 11 लाख रुपए का भुगतान कर सरकार को 13 करोड़ 86 लाख रुपए का चूना लगाया है। ईओडब्ल्यू की जांच के दौरान यह सामने आया कि अब तक इस प्रोजेक्ट में केवल 47 प्रतिशत ही काम हुआ है, लेकिन भुगतान 213 प्रतिशत कर दिया गया।
ऐसे किया मिलीभगत से फर्जीवाड़ा
यह मामला केवल रुपए के गड़बड़झाले का ही नहीं है बल्कि, कंपनी ने दस्तावेजों में हेरफेर करते हुए ऐसे इंजीनियर और कर्मचारी से निर्माण कार्य करवा रही थी, जो इस काम के लायक ही नहीं है। निर्माण कार्य की निविदा लेते समय एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट्स कंपनी ने कई एक्सपर्ट के बायोडाटा भी लगाए थे, जिसमें उन्होंने दिखाया था कि उनके इस निविदा में काम करने वाले टीम लीडर, सीनियर ब्रिज इंजीनियर, बिज डिजाइन इंजीनियर, सीनियर मटेरियल इंजीनियर, सीनियर क्वालिटी इंजीनियर और आरई सभी विशेषज्ञ हैं और उनके बायोडाटा की मार्किंग के आधार पर ही इस कंपनी को यह प्रोजेक्ट मिला था, लेकिन प्रोजेक्ट मिलते ही कंपनी ने कम दक्षता के कर्मचारियों को यह काम दे दिया। जबकि निविदा में यह साफ उल्लेख था कि यदि की एक्सपर्ट को बदल जाएगा तो उससे उच्चतर या समकक्ष अहर्ता वाले एक्सपर्ट ही काम करने योग्य होंगे। निविदा लेने के लिए कंपनी ने जो एफिडेविट जमा किए थे, वह भी फर्जी निकले, क्योंकि इन एफिडेविट में जीटी खलीउल्लाह खान की सील और दस्तखत थे। लेकिन15 मई 2019 के इस एफिडेविट की सील में दिख रहे खलीउल्लाह खान का 22 जनवरी 2018 को ही निधन हो चुका है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि निविदा पाने के लिए कंपनी ने कुल 9 एक्सपर्ट के नाम दिए थे। जिसमें सुुभाष कुमार चौधरी, उदय शंकर मालिक, मनीष कुल्हाटे चंद्रकांतबी, हरिचरण, महेश पुलोरिया और अरविंद गुप्ता का नाम था। लेकिन इनमें से किसी भी कर्मचारी ने कभी भी एल एन मालवीय की कंपनी के साथ काम ही नहीं किया। निविदा मिलने के बाद मालवीय की कंपनी ने मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर इन सभी को बीमार बता दिया और नए निम्न क्षमता के कर्मचारियों को काम पर रख लिया।
लोक निर्माण विभाग अधिकारियों की मिलीभगत
निविदा को लेने के लिए मेसर्स एलएन मालवीय इन्फ्रा ने इंडियन रोड कांग्रेस की जो रसीदें लगाई थीं, वह भी फर्जी थीं। भारतीय सडक़ कांग्रेस (आईआरसी) देश में राजमार्ग इंजीनियरों का सर्वोच्च निकाय है। आईआरसी की रसीद बुक में केवल 100 पेज होते हैं और रसीद नंबर भी 100 से अधिक नहीं होते है, लेकिन कंपनी ने 186 से लेकर 644 नंवर तक की कुल 21 फर्जी रसीदें लगाई थी। जिसे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने आंख बंद कर सत्यापित कर दिया। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने जानबूझकर एलएन मालवीय की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए अधिक अंक देते हुए उसका टेंडर स्वीकृत किया था। इस मामले में एलएन मालवीय सहित (एनबीडी) पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन डायरेक्टर नरेंद्र कुमार, तत्कालीन एई सजल उपाध्याय और एमपी सिंह आदि के खिलाफ धारा 420,467, 468, 471, 472,120-वी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज कर ईओडब्ल्यू ने विवेचना में लिया है।
इन अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज
निविदा को लेने के लिए मेसर्स एलएन मालवीय इंफ्रा कंपनी ने इंडियन रोड कांग्रेस की जो रसीदें लगाई थी, वह फर्जी थी। कंपनी ने कुल 21 फर्जी रसीदें लगाई, जिनको पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने आंख मूंदकर सत्यापित कर दिया। अफसरों ने जानबूझ कर कंपनी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से अधिक अंक देते हुए टेंडर स्वीकृत किया। मामले की शिकायत हुई और जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज कर लिया। इस मामले में कंपनी के डायरेक्टर एलएन मालवीय, पीडब्ल्यूडी के एई सजल उपाध्याय, एसई एमपी सिंह तत्कालीन ईएनसी नरेंद्र कुमार तथा पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन फाइनेंशियल एडवाइजर आरएन मिश्रा को आरोपी बनाया गया है। इन सभी पर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और साजिश के तहत भ्रष्टाचार के नियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।