स्वतंत्र समय, भोपाल
मंत्रालय ( Ministry ) वल्लभ भवन की बिल्डिंग में 9 मार्च को आग लगी थी। इसे आज एक पखवाड़ा होने जा रहा है। इससे पांचवी मंजिल पर बैठने वाले चार मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान सहित कई महत्वूपर्ण फाइलें जलकर खाक हो गई थी। जांच के लिए अफसरों की कमेटी भी बनाई गई, लेकिन अभी तक मंत्रालय के पांचवी मंजिल सहित कई हिस्सों में कामकाज शुरू नहीं हो सका है। कर्मचारी कक्षों में बैठ नहीं रहे, क्योंकि उनमें न तो बिजली है और न ही फोन चालू हैं। आग की बदबू पुरानी बिल्डिंग में आने से कर्मचारी भी परेशान है।
Ministry का ऑनलाइन सिस्टम पूरी तरह ठप है
मंत्रालय के कर्मचारियों ने बताया कि मंत्रालय में जीएडी के नए पीएस की ज्वॉइनिंग के बाद ही आग लगी थी और वे अभी तक व्यवस्था को नहीं सुधरवा सके हैं। आग लगने से पांचवी मंजिल का एक तरफ का पूरा हिस्सा और मंत्रालय के पूर्व हिस्से में दूसरी मंजिल से लेकर पांचवी मंजिल का पूरा हिस्सा आग से पूरी तरह स्वाह हो चुका है। कंप्यूटर, टेलीफोन और बिजली की बायरिंग पूरी तरह जलकर खाक हो चुकी है। ऑनलाइन सिस्टम पूरी तरह ठप है। पहली मंजिल से लेकर चौथी मंजिल तक टेलीफोन बंद होने से कर्मचारियों को कामकाज में दिक्कत आ रही है। पूर्व हिस्से में बिजली बंद होने से आसपास के कक्षों में बैठने वाले कर्मचारी नहीं आ रहे हैं, जिससे जीएडी, लोक सेवा प्रबंधन, सीएम स्वेच्छानुदान, सीएम हेल्पलाइन और पीएमओ से मिलने वाली हजारों शिकायतों का निराकरण नहीं हो पा रहा है।
जीएडी ने टेंडर भी नहीं किए जारी
वल्लभ भवन के पूर्व हिस्से की दूसरी मंजिल से पांचवी मंजिल और दक्षिण पांचवी मंजिल के कक्षों का मेंटेनेंस, कुर्सी टेबिल, सोफा , बिजली फिटिंग आदि सहित अन्य कार्यों को कराने के लिए जीएडी ने अभी तक टेंडर भी जारी नहीं किए हैं। खासकर चुनाव आचार संहिता लगी होने के कारण अफसर टेंडर जारी करने से बचना चाहते हैं, जबकि इसके लिए चुनाव आयोग की अनुमति लगेगी।
पीडब्ल्यूडी ने बनाया 27 करोड़ का प्रस्ताव
मंत्रालय में लगी आग से नष्ट हुई सामग्री, बिजली, टेलीफोन आदि की मरम्मत सहित कक्षों का मेंटेनेंस कराने के लिए पीडब्ल्यूडी ने 27 करोड़ की राशि इस पर खर्च होने का प्रस्ताव बनाकर जीएडी को भेजा था, लेकिन पीएस जीएडी मनीष रस्तोगी और पीएस पीडब्ल्यूडी डीपी आहुजा के बीच सामंजस नहीं बन पाने की वजह से वल्लभ में सुधार का कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं कराया जा सका है। सूत्रों का कहना है कि लोक निर्माण के अधिकारियों को दोनों ही अफसर अलग-अलग निर्देश दे रहे हैं, जिसके कारण विवाद की स्थिति बनी हुई है।