50 करोड़ खर्च करने के बाद भी लगेंगे कचरे के ढेर, क्योंकि निगम का प्लांट नहीं

स्वतंत्र समय, ग्वालियर

प्रदेश की पहली अत्याधुनिक लैंड फिल साइट का दर्जा पाने वाली शहर की लैंड फिल साइट पर निगम के अधिकारियों की अनदेखी के कारण कचरे का निष्पादन नहीं हो पा रहा है। यहां कचरे के पहाड़ बन गए हैं। दो साल पहले यहां 6 लाख टन कचरा जमा होने की रिपोर्ट तैयार की गई थी। उसे उठाने के लिए सरकार से 33 करोड़ रुपए मांगे गए। हाल ही में टेंडर के अनुसार 28 करोड़ में इस कचरे का निष्पादन हो पाएगा। इसके निपटान के लिए 22ण्50 करोड़ रुपए का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। शहर से निकलने वाले लगभग 500 टन कचरे का आना रोजाना जारी रहेगा। इसके नियमित निपटान के लिए कोई ठोस प्लान नहीं है।
केदारपुर स्थित लैंड फिल साइट पर कचरों के पहाड़ों को खत्म करने के लिए वैज्ञानिक विधि से निष्पादन का काम ट्रायल के तौर पर शुरू कर दिया है। 300 दिन में 6 लाख टन कचरे का निष्पादन किया जाएगा। उक्त कचरे से 4 चीजें बनेंगी। जिसे दिल्ली की कंपनी बेचेगी। कंपनी ने कचरा निष्पादन के लिए 4 ट्रामल लगा दिए हैं। एक की क्षमता 1000 टन कचरा निष्पादन की है। कंपनी लैंड फिल साइट पर कचरे के निष्पादन का प्लांट लगाया था। कंपनी के काम छोडऩे के बाद निगम इस प्लांट को मेंटेन नहीं कर पाया।

नगर निगम को अपना प्लांट लगाना चाहिए

कचरे के निष्पादन पर इतना पैसे खर्च किए जाने का कोई औचित्य नहीं है। कचरा अनवरत आता रहेगा। इसके निष्पादन के लिए निगम को स्थायी व्यवस्था करना जरूरी है। शहरों में कचरे से एनर्जी बनाने का काम किया जा रहा है। ईकोग्रीन भी यही प्रोजेक्ट लेकर आई थी। कंपनी के जाने के बाद निगम को इस प्रोजेक्ट पर अपने स्तर पर आगे बढऩा चाहिए। इतना बजट खर्च कर कब तक कचरा उठवाया जा सकता है।
एक्सपर्ट… विनोद शर्मा, पूर्व निगमायुक्त

जनवरी के बाद कितना कचरा, आकलन नहीं

निगम इंजीनियरों ने 6 लाख टन कचरे के अलावा दिसंबर 2023 तक के कचरे का आकलन कर लिया है। जनवरी के बाद 300 दिन में और कितना कचरा साइट पर पहुंचेगा इसका आकलन नहीं हुआ है। जबकि शहर से रोज 500 टन कचरा निकलता है।

लैंडफिल साइट पर कचरा निष्पादन का ट्रायल हुआ

लैंडफिल साइट पर कचरे को साइंटिफिक तरीके से खत्म करने के लिए कंपनी ने उपकरण लगाकर ट्रायल हो गया है। 6 लाख टन कचरे के अलावा जो शेष रहेगा उसके लिए शासन से मांग की जाएगी।
-विजय राज, अपर आयुक्त ननि