विष को भी अमृत समझकर गटक लेना चाहिए : Pt. Kamal Kishore Nagar

स्वतंत्र समय, इंदौर

गोम्मटगिरी जम्बूर्डी हप्सी स्थित गोवर्धन गौशाला की कदम वाटिका में भागवत कथा पं. कमल किशोर नागर ( Pt. Kamal Kishore Nagar ) ने कपिल अवतार प्रसंग की व्याख्या की। सत्संग व ध्यान से परमात्मा को पाया जा सकता और यह केवल मनुष्य को ही प्राप्त हैं। जीवन में कभी अमृत गटकने का अवसर आए तो उसे गले में अटकने मत देना गटक जाना। समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने विष को भी अमृत समझ ग्रहण कर लिया था उसी प्रकार हमें भी दूसरों द्वारा की गई निंदा व बुराईयों को अमृत समझकर पी जाना चाहिए। क्योंकि विष को अमृत से ही काटा जा सकता है और अमृत हमें भागवत कथा के श्रवण से ही प्राप्त हो सकता है।
ये विचार बुधवार को गोम्मटगिरी जम्बूर्डी हप्सी स्थित गोवर्धन गौशाला की कदम वाटिका में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन राजा परिक्षित व कपिल अवतार प्रसंग की व्याख्या करते हुए मालवा माटी के संत पं. कमलकिशोर नागर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अमृत सामने आ जाए तो उसे गले में मत अटकने देना उसको जहर के समान पूरा गटक जाना। महादेव के सामने विष आया तो उन्होंने भी अमृत समझकर विष गटक लिया लेकिन वह उनके गले में ही अटक गया। क्योंकि महादेव ने विष पिया तो वो अमृत हो गया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा के हर प्रसंग में जीवन के प्रश्नों का उत्तर होता है। हमें हमारे जीवन में कथा के प्रसंगों को उतारने की आवश्यकता है।

Pt. Kamal Kishore Nagar ने कहा, मीरा ने जहर को अमृत समझ पीया

भागवत कथा श्रवण करवाते हुए पं. कमल किशोर नागर ( Pt. Kamal Kishore Nagar ) ने कहा कि मीरा को भी सत्संग, भजन, पूजा, पाठ करने से मना किया तो उसको भी विष दिया गया। लेकिन उन्होंने उस विष को भी अमृत समझ पी लिया और वह विष ही उसका अमृत बन गया। अंत: में प्रभु भक्ति में वह लीन हो गई।

कटु वाणी से होती है महाभारत

पंडित नागर ने कहा कि हमें हमेशा अपनी वाणी को संयम में व सोच-विचार कर बोलना चाहिए। केकई, मंथरा व द्रोपदी जहां-जहां होगी वहां हमेशा रामायण व महाभारत होगी। जिनके घर में कटु वाणी का प्रयोग होता है वहां हमेशा महाभारत होगी है।

सत्संग व ध्यान प्रभु के स्मरण से प्राप्त होगा

गौ सेवक संत पं. कमलकिशोर नागर ने कहा कि अन्न तो पशु, पक्षियों और श्वान को भी प्राप्त हो जाता है लेकिन उन्हें सत्संग व ध्यान नहीं मिल पाता है। सत्संग और ध्यान सिर्फ मनुष्यों को ही प्राप्त होता है और इसी सत्संग व ध्यान से वो परमात्मा का दर्शन प्राप्त कर सकता है।

राजा परीक्षित की सुनाई कथा

श्रीमद् भागवत कथा आयोजक परमानंद गेहलोत, मुकेश गेहलोत एवं जयेश गेहलोत ने बताया कि बुधवार को सात दिवसीय भागवत कथा के दौरान राजा पीरक्षित, कपिलोवतार व विरक्त में गृहस्थ प्रसंग की व्याख्या कर कथा का रसपान श्रद्धालुओं ने किया। कदम वाटिका में बुधवार को मालवा-निमाड़ के भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। वहीं कथा स्थल पर युवाओं के साथ-साथ बच्चे भी जल सेवा सहित अन्य सेवाओं में सहयोग करते नजर आए। गुरूवार को भी कथा में विभिन्न प्रसंगों का श्रवण श्रद्धालु करेंगे। कथा प्रतिदिन 12 से 3 बजे तक आयोजित होगी। श्रीमद् भागवत कथा गोवर्धन गौशाला समिति के सरदारसिंह सोलंकी, विनोद सोलंकी एवं संतोष नीमचा ने बताया कि बुधवार को व्यासपीठ का पूजन पूर्व सरपंच राधेश्याम पटेल, जसवंत ठाकुर, सुरेश सोलंकी (गब्बर), विशाल चौकसे सहित गेहलोत परिवार ने किया। गोम्मटगिरी जम्बडऱ्ी हप्सी स्थित गोवर्धन गौशाला की कदम वाटिका में सोमवार 8 अप्रैल तक भागवत कथा आयोजित की जाएगी। जिसमें गौ सेवक संत पं. कमलकिशोर नागर श्रद्धालुओं को मालवी भाषा शैली में कथा का रसपान कराएंगे।