Rajgarh Mp: आस्था और जीव प्रेम की एक अनूठी मिसाल पेश करते हुए राजगढ़ जिले के दरावरी गांव में ग्रामीणों ने एक बंदर की मौत के बाद उसकी तेरहवीं का आयोजन किया।
इस मौके पर एक विशाल मृत्यु भोज रखा गया, जिसमें आसपास के सैकड़ों गांवों से करीब 5 हजार लोग शामिल हुए। ग्रामीणों के लिए यह बंदर सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि हनुमानजी का स्वरूप था।
गांव के बाहर एक खुले परिसर में आयोजित इस भोज के लिए ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा किया था। खाने में नुक्ती, सेव, पूड़ी और कढ़ी बनवाई गई। कार्यक्रम के दौरान बैंड-बाजे पर लगातार हनुमान जी के भजन बज रहे थे। लोगों को निमंत्रण देने के लिए करीब 35 किलोमीटर दूर तक के गांवों में फोन किए गए और संदेश भेजे गए।
बिजली के तार की चपेट में आने से हुई थी मौत
ग्रामीण हरि सिंह दिलावरी ने बताया कि यह घटना 7 नवंबर की है। एक बंदर जंगल की तरफ से गांव में आया और उछल-कूद करने लगा। इसी दौरान वह गांव के पास से गुजर रही हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया और बुरी तरह घायल होकर नीचे गिर गया। ग्रामीणों ने उसे पानी पिलाया और बचाने की कोशिश की, लेकिन कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया।
बैंड-बाजे के साथ निकली अंतिम यात्रा
बंदर की मौत से दुखी पूरे गांव ने 8 नवंबर को उसका अंतिम संस्कार करने का फैसला किया। मंदिर के पास बंदर के लिए एक डोली (अर्थी) सजाई गई और फिर बैंड-बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा मुक्तिधाम तक निकाली गई। पूरे सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया गया।
परिवार के सदस्य की तरह पूरे किए गए रीति-रिवाज
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। ग्रामीणों ने बंदर को परिवार का सदस्य मानते हुए सभी हिंदू रीति-रिवाजों का पालन किया। ग्यारहवें दिन गांव के पटेल बिरम सिंह सौंधिया चार अन्य लोगों के साथ बंदर की अस्थियां लेकर उज्जैन गए।
वहां उन्होंने शिप्रा नदी में विधि-विधान से अस्थियों का विसर्जन किया। इतना ही नहीं, पटेल बिरम सिंह ने परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु की तरह ही अपनी दाढ़ी-मूंछें और सिर भी मुंडवाया।