फर्जी बैंकिंग स्कैम का खुलासा, इंदौर समेत कई जिलों में निवेशकों को लगाया करोड़ों का चूना

मध्यप्रदेश के इंदौर, अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला और बालाघाट जिलों में एक फर्जी बैंकिंग कंपनी द्वारा किए गए बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है। दो युवकों ने मिलकर एक नकली फाइनेंशियल फर्म ‘IDCS INDIA’ की स्थापना की, जिसके जरिए उन्होंने दर्जनों निवेशकों से करीब डेढ़ करोड़ रुपए की ठगी की।

आरोपियों ने स्टेट बैंक ऑफ मॉरीशस से जुड़े नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर निवेशकों को भरोसे में लिया। उन्हें 6 प्रतिशत मासिक ब्याज का लालच देकर फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे जमा करवाए गए। कुल 81 लोगों से यह कहकर रकम वसूली गई कि उनका पैसा सुरक्षित है और उन्हें हर महीने अच्छा रिटर्न मिलेगा।

पुलिस की कार्रवाई में कंपनी के सीईओ और ब्रांच मैनेजर गिरफ्तार

अनूपपुर पुलिस ने शनिवार को इस फर्जीवाड़े में शामिल कंपनी के सीईओ योगेश श्रीवास (22 वर्ष) और ब्रांच मैनेजर दीपक उपाध्याय (28 वर्ष) को गिरफ्तार किया। रविवार को पुलिस अधीक्षक मोती उर रहमान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले की जानकारी साझा की।

शिकायत के बाद खुला मामला, नहीं मिला ब्याज और मूलधन

इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब अभिजीत सिंह नामक एक निवेशक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने दिसंबर 2023 में एक लाख रुपए की एफडी कराई थी। कुछ महीनों तक कोई ब्याज न मिलने और मूलधन वापस न मिलने के कारण उन्हें ठगी का शक हुआ, जिसके बाद यह मामला उजागर हुआ।

पुलिस जांच में सामने आया कि योगेश ने ठगे गए पैसों से 20 लाख रुपए की एक लग्जरी कार, साढ़े तीन लाख की BMW बाइक, पांच लाख रुपए के सोने के आभूषण और मंडला में करीब 50 लाख का एक आवासीय प्लॉट खरीदा। पुलिस ने उनके पास से 5 लैपटॉप, 2 प्रिंटर, मोबाइल फोन और नकली दस्तावेज भी जब्त किए हैं।

बैंक खाते सीज, कई लोगों से की गई एफडी के नाम पर ठगी

पुलिस ने आरोपियों के सभी बैंक खातों को फ्रीज़ कर दिया है। अनूपपुर में डॉक्टर रत्ना परस्ते, आकांक्षा पांडेय और अजय गुप्ता समेत कई लोगों से भी फर्जी एफडी के नाम पर रकम वसूली गई थी। इतना ही नहीं, कई युवाओं को नौकरी देने का झांसा देकर भी आर्थिक रूप से ठगा गया।

पुलिस ने कंपनी का कार्यालय किया सील

अनूपपुर में स्थित फर्जी कंपनी के कार्यालय को पुलिस ने सील कर दिया है। इस पूरे मामले को एक बड़े आर्थिक अपराध के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें मासूम नागरिकों की मेहनत की कमाई को झांसे में लेकर हड़प लिया गया।