सीताराम ठाकुर, भोपाल
प्रदेश में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के नाम पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र ( Caste Certificate ) बनवाकर सरकारी नौकरी पाने का खेल सालों से चल रहा है। पिछले पांच साल में ही ऐसे 125 से अधिक मामलों में दोषियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि जांच के लिए गठित छानबीन समिति की अनुशंसा पर अमान्य किए गए प्रमाण पत्रों के बाद भी लोग धड़ल्ले से सरकारी नौकरी कर वेतन-भत्तों के नाम पर लाखों का चूना लगा रहे हैं।
फर्जी Caste Certificate से नौकरी वालों पर अभी मामला नहीं
विधायक डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह ने कूटरचित दस्तावेजों ( Caste Certificate ) से एससी, एसटी और ओबीसी के नाम पर सरकारी नौकरी करने वालों के खिलाफ समय-सीमा में कार्यवाही करने की मांग की थी, लेकिन अभी तक विभागों से ऐसे मामलों में कोई अभियान नहीं चलाया। बताया जाता है कि कूटरचित दस्तावेजों के जरिए सैकड़ों लोग आज भी सरकारी नौकरी कर वेतन-भत्तों का लाभ उठा रहे हैं। सरकारी रिपोर्ट में 57 मामलों की अभी जांच छानबीन समिति के पास पेंडिंग है। इनमें लैब टेक्नीशियन सतीश कुमार मांझी, स्वास्थ्य विभाग, आरके केवट डीएसपी, आजाद कुमार तांती प्रशिक्षण अधिकारी, नरसिंहमूर्ति उप स्वास्थ्य पर्यवेक्षक, गुलबिया सारीवान सहायक शिक्षक, देवीसिंह शासकीय सेवक सीहोर, अरुण कुमार बरोतिया सहायक अनुभाग अधिकारी जीएडी मंत्रालय, प्रशांत निखारे निम्न श्रेणी लिपिक, पंकज कुमार रायकवार, कुसुम कीर, रविशंकर खैरवार, पुलिस इंस्पेक्टर अनिल कुमार नंदनवार आदि के मामले पेंडिंग हैं।
इनके भी मामले 2020 से लंबित
चिकित्सा अधिकारी सुनील कुमार सहरिया, सहायक वन संरक्षक द्वारकादास पनिका, जीएडी में अवर सचिव सुनील मंडावी, वंदना ताबेले निरीक्षक, उप संचालक गोविंद अंदेवार, कनिष्ठ यंत्री रेणुका बारापात्रे, नगर एवं ग्राम निवेश में संयुक्त संचालक शैलेष कोहद, वनपाल जयप्रकाश बाथम, सामाजिक न्याय विभाग में उप संचालक मनोज बाथम, सहायक उप निरीक्षक रूपसिंह, वनपाल संतोष बाथम, प्रधान आरक्षक बसंत कुमार, जीडीएस देवीशंकर बाथम, पीडब्ल्यूडी में मुख्य अभियंता सुरेश चंद्र वर्मा, जल संसाधन बरगी में पदस्थ कार्यपालन यंत्री अजय कुमार सूरे, जिला पंचायत सदस्य एकता ठाकुर, फायर ऑफिसर गणेश प्रसाद पनरिया, अपर सचिव हरिसिंह मीना, वनरक्षक कुमारी कृष्णा मांझी, वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक हेमलता डोगर आदि के मामलों की जांच लंबित है।
दोषी होने पर भी नहीं की विभाग ने कार्रवाई
अनुसूचित जनजाति छानबीन समिति द्वारा अमान्य किए गए जाति प्रमाण पत्रों के बाद भी लोग सरकारी पदों पर जमे हुए हैं और विभागों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है, इनमें गृह विभाग में नन्हेसिंह पाल, मचल सिंह पाल, फूलसिंह पाल, पीडी मांझी भोपाल, रमेश कुमार पाल, शांताराम पाल, प्रकाश पाल, देवीसिंह पाल, वीरेंद्र कुमार पाल, शोभाराम पाल, लखनलाल पाल, तुलजा प्रसाद पाल, डॉ. प्रवीण कुंभारे इंदौर, ग्राम पंचायत सचिव प्रवीण मुंडा, रामेश्वर प्रसाद, दूरसंचार परिमंडल भोपाल में पदस्थ राकेश कुमार गोंडिया, रेडियो निरीक्षक नर्मदा प्रसाद तंवर, पुलिस विभाग में अधिकारी रहे रघुवीर सिंह मीना का जाति प्रमाण पत्र 16 नवंबर 2015 को निरस्त कर दिया गया और बाद में 4 अगस्त 2022 को यथावत मान्य कर लिया गया। रोजगार अधिकारी अमित सिंह गोंड, जीएसटी विभाग में पदस्थ सुनील कुमार, कृषि विभाग में पदस्थ कुंजीलाल कोष्टा, हाथकरघा में दशरथ लाल कोष्टा, डाक विभाग में बजरंगलाल बाथम, आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित कुमार केवट आदि पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सरकार ने कहा-एसपी,कलेक्टर से रिपोर्ट बुलाई
इंदौर के सिटी प्लानर नीरज लिखार के मामले में विभाग के प्रमुख सचिव अनुसार, नीरज लिखार के जाति प्रमाण पत्र की जांच प्रारंभ की जा चुकी है। वर्तमान समय में जांच के लिए प्रकरण एसपी एवं कलेक्टर को भेजा गया है। जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात छानबीन समिति के समक्ष प्रस्ताव निर्णय लेने रखा जाएगा।
दोषी होने पर भी नहीं की विभाग ने कार्रवाई
शिकायत प्राप्त होने पर किसी भी शासकीय कर्मचारी के जाति प्रमाण पत्र की जांच राज्य स्तरीय उच्च छानबीन समिति द्वारा की जाती है। जाति प्रमाण पत्र की जांच की जाकर निर्णय उपरांत ही निश्चित कहा जा सकता है कि शासकीय सेवक द्वारा बनाए गए जाति प्रमाण पत्र कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से बनवाए गए हंै अथवा नहीं।
– कुंवर, विजय शाह, मंत्री, जनजातीय कार्य