- कांग्रेस से अशोक सिंह
- भाजपा से डॉ. मुरुगन, नारोलिया उमेशनाथ और बंसीलाल को उम्मीदवार
स्वतंत्र समय, भोपाल
मध्य प्रदेश से राज्यसभा जाने वालों की दौड़ में कई चर्चित नाम चल रहे थे, इन दोनों ही पार्टी ने अपने-अपने दलों को चौंका दिया है। कांग्रेस ने ग्वालियर के रहने वाले अशोक सिंह को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। वे मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष है। ग्वालियर से दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। यादव समाज से ताल्लुक रखते हैं । बड़े कारोबारी हैं। राज्यसभा उम्मीदवार के लिए मीनाक्षी नटराजन का नाम भी चल रहा था, लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता सहमत नहीं हुए। लंबी जद्दोजहद के बाद अशोक सिंह के नाम पर सहमति बनी।
राज्यसभा के लिए नामों में भाजपा ने भी चौंकाया
मध्य प्रदेश की राज्यसभा की पांच में से चार सीटें भाजपा के पास हैं। भाजपा ने जो चार नाम तय किए हैं उन्होंने सभी को चौंका दिया। केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन को मध्य प्रदेश से प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा जो तीन नाम तय हुए हैं उनमें उज्जैन के महाराज उमेश नाथ का नाम शामिल है। इनके अलावा माया नारोलिया और बंशीलाल गुर्जर का नाम शामिल है। लिस्ट में मौजूदा सदस्य धर्मेंद्र प्रधान, अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी का नाम नहीं है।
माया बोलीं… रोटी सेंक रही थी
नर्मदापुरम की रहने वाली माया नारोलिया ने कहा कि आज खाना बनाने वाली नहीं आई। मैं किचन में रोटी सेक रही थी । बेटा दौड़ता हुआ आया बोला- कि मध्य प्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवारों की लिस्ट में आपका नाम है। इसके बाद प्रदेश कार्यालय से फोन आया बधाई देने वालों का टाटा लग गया।
दोनों तरफ से तंज
भाजपा-कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे पर तंज कस रहे हैं। उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि कांग्रेस दुविधा में है। उनमें आपसी सामंजस्य नहीं है। वह अपनी भगदड़ से परेशान है। उधर कांग्रेस नेता हेमंत कटारे ने कहा कि हम भाजपा के पिछलग्गुु नहीं है। हमारे यहां फैसला आम सहमति से होता है । भाजपा की तरह एक या दो लोग ही सब कुछ तय नहीं करते हैं।
समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट हैं संत उमेशनाथ
भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा चर्चा उज्जैन के संत उमेशनाथ महाराज की हो रही है। सुबह जब पूजा के लिए जा रहे थे तब कुछ लोग बधाई देने आए तो पता चला कि भाजपा ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे दी है। उज्जैन के वाल्मिकी धाम आश्रम के प्रमुख पीठाधीश्वर हैं। अपना नाम आने पर बोले कि मुझे राज्यसभा की एबीसीडी भी नहीं आती है। सबके लिए अच्छा ही करूंगा। कुछ बिंदुओं को समझना आवश्यक है। पद की गरिमा बनी रहे। सामाजिक समरसता और धर्म के लिए इसी तरह काम करता रहूंगा। उमेश नाथ महाराज वाल्मीकि समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में उनकी भेंट है। कांग्रेस के शासन में उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत के करीबी माने जाते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक उनका आशीर्वाद लेने आ चुके हैं। उमेश नाथ महाराज का जन्म 1964 में रतलाम जिले के जावरा में हुआ। धर्म के प्रति लगाव को देखते हुए 5 साल की उम्र में ही राजस्थान के गोगामेड़ी गोरखनाथ तिल के संत श्री गोरखनाथ जी की शरण में सौंप दिए गए। यहीं से उमेश नाथ ने सनातन की शिक्षा ग्रहण की और तभी से संन्यासी जीवन जी रहे। उन्होंने दिल्ली से समाजशास्त्र में ग्रेजुएशन किया है। ‘एम ए’ की डिग्री हासिल करने के दौरान ही रामलीला मैदान से समरसता का पहला बिगुल बजाया। यहीं पर उन्होंने ‘जाति पंथ संप्रदाय को तोड़ो, राष्ट्र को जोड़ो’ नारा दिया। करीब 35 साल पहले राजस्थान से उज्जैन आकर हरिश्चंद्र टीले को अपना मुकाम बनाया। टीले का नामकरण वाल्मीकि धाम किया। उमेश नाथ को आठ राज्यों में अतिथि का दर्जा प्राप्त है। मध्य प्रदेश और राजस्थान के प्रथम राजकीय अतिथि माने जाते हैं। विदेश में भी कई यात्राएं की है।