Delhi News : हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर गंभीर आरोपों के चलते चर्चा में है। इस यूनिवर्सिटी का नाम दिल्ली में साल 2000 में हुए लाल किला आतंकी हमले से जुड़ रहा है, जिसने पूरे देश को दहला दिया था। जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस हमले के दो प्रमुख आरोपी डॉक्टर मोहम्मद उमर और डॉ. मुजम्मिल, इसी यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र थे। इस कनेक्शन के सामने आने के बाद से ही यह शिक्षण संस्थान जांच के दायरे में है।
लाल किला हमला और यूनिवर्सिटी का कनेक्शन
22 दिसंबर 2000 की रात, लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने लाल किले पर तैनात सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया था। इस आतंकी हमले में सेना के दो जवानों समेत तीन लोग शहीद हो गए थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मामले की जांच करते हुए एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था।
सूत्रो के अनुसार बताया जा रहा है कि जांच के दौरान डॉ. मोहम्मद उमर और डॉ. मुजम्मिल का नाम प्रमुख साजिशकर्ताओं के तौर पर सामने आया। ये दोनों ही अल-फलाह यूनिवर्सिटी से पढ़े थे। इन पर आरोप है कि इन्होंने हमले की साजिश रचने, आतंकवादियों को वित्तीय और लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई थी।
कौन हैं आरोपी डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल?
डॉ. मोहम्मद उमर को लाल किला हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक माना जाता है। वह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अशफाक का करीबी था, जो हमले का मास्टरमाइंड था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लंबी ट्रेकिंग के बाद उसे गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उसने हवाला के जरिए आतंकवादियों के लिए फंड जुटाया और उनके छिपने की व्यवस्था की।
वहीं, डॉ. मुजम्मिल भी इसी मामले में सह-आरोपी है और अल-फलाह यूनिवर्सिटी का पूर्व छात्र रहा है। जांच एजेंसियों का मानना है कि इन दोनों ने अपनी मेडिकल की शिक्षा का दुरुपयोग करते हुए एक स्लीपर सेल के रूप में काम किया और आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने में मदद की।
क्या यूनिवर्सिटी थी आतंकी गतिविधियों का केंद्र?
इन दोनों डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद से ही अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सुरक्षा एजेंसियां इस एंगल से भी जांच कर रही हैं कि क्या इस यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए भर्ती करने के केंद्र के रूप में किया जा रहा था?
यह यूनिवर्सिटी फरीदाबाद के धौज इलाके में स्थित है, जो मेवात क्षेत्र के करीब है। यह इलाका पहले भी कई कारणों से संवेदनशील माना जाता रहा है। इस मामले ने शिक्षण संस्थानों की निगरानी और उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित किया है। फिलहाल, लाल किला हमला मामला अदालत में है और जांच जारी है, लेकिन इस प्रकरण ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी की साख पर एक गहरा दाग लगा दिया है।