अगले चार महीनों में यानी जून 2025 तक प्रदेश के सभी किसानों को कृषि कार्य के लिए डेडिकेटेड कृषि फीडर से बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी। प्रदेश में कुल 3,000 कृषि फीडरों की आवश्यकता है, जिनमें से अब तक 2,500 फीडर तैयार हो चुके हैं। शेष 500 फीडरों का काम भी तेजी से जारी है और जून तक पूरे 3,000 कृषि फीडर तैयार हो जाएंगे। इससे किसानों को निर्बाध और पर्याप्त बिजली आपूर्ति मिल सकेगी, जिससे उनकी खेती संबंधी जरूरतें बेहतर तरीके से पूरी हो सकेंगी।
प्रदेश में 2.85 लाख किसान ऐसे हैं, जिन्होंने कृषि फीडर से कनेक्शन प्राप्त करने के लिए आवेदन दिया हुआ है, लेकिन उन्हें अभी तक कनेक्शन नहीं मिल सका है। सरकार और बिजली विभाग जल्द ही इन किसानों को कनेक्शन देने की प्रक्रिया को तेज करने की योजना बना रहे हैं। जून तक सभी 3,000 कृषि फीडरों के तैयार हो जाने के बाद इन लंबित आवेदनों का निराकरण तेजी से किया जाएगा, जिससे किसानों को निर्बाध बिजली आपूर्ति मिल सकेगी और उनकी कृषि गतिविधियां सुचारू रूप से चल सकेंगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिया है कि जून तक सभी बचे हुए किसानों को कृषि फीडर से बिजली कनेक्शन उपलब्ध करा दिया जाए। अब तक प्रदेश में 5.55 लाख किसानों को कृषि कार्य के लिए बिजली कनेक्शन दिए जा चुके हैं। सरकार की योजना है कि जून तक सभी 3,000 कृषि फीडर पूरी तरह से तैयार हो जाएं, जिससे बाकी बचे 2.85 लाख किसानों को भी शीघ्र ही कनेक्शन मिल सके और उन्हें निर्बाध बिजली आपूर्ति का लाभ मिल सके।
प्रदेश में किसानों को सिंचाई कार्य के लिए 1,150 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराई जाती है। यह बिजली थर्मल पावर प्लांट से 6.74 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदी जाती है, लेकिन किसानों को मात्र 55 पैसे प्रति यूनिट की दर पर दी जाती है। इस योजना के तहत सरकार प्रति वर्ष 3,970 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान करती है, ताकि किसानों को किफायती दर पर बिजली मिल सके और उनकी कृषि लागत कम हो।
मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने कहा कि कृषि फीडरों के सोलराइजेशन से सूखे जैसी परिस्थितियों से निपटने में आसानी होगी, क्योंकि सौर ऊर्जा से मिलने वाली बिजली डीजल की तुलना में 10 गुना अधिक सस्ती है। उन्होंने बताया कि लखीसराय की कजरा सौर ऊर्जा परियोजना देश का सबसे बड़ा बैटरी भंडारण सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट है, जहां दो परियोजनाओं को मिलाकर 301 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के जुलाई-अगस्त तक शुरू होने की संभावना है।
कजरा सौर ऊर्जा परियोजना से राज्य में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। इस परियोजना के पहले चरण में 185 मेगावाट और दूसरे चरण में 116 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता का विकास किया जा रहा है। विस्तारीकरण के साथ इस परियोजना की कुल लागत 1055.72 करोड़ रुपए है। यह परियोजना 80:20 वित्तीय मॉडल के तहत क्रियान्वित की जा रही है, जिसमें 80 प्रतिशत राशि विभिन्न वित्तीय संस्थानों से और 20 प्रतिशत पूंजीगत निवेश के रूप में लगाई जा रही है। इस परियोजना के लिए 1232 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है, और प्रथम चरण के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी एलएंडटी को सौंपी गई है।