बीज संकट की आग में झुलसते किसान, क्या केंद्रीय मंत्री का दौरा उम्मीद की किरण बनेगा या केवल औपचारिकता?

मध्यप्रदेश के किसानों के लिए सोयाबीन सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि जीविका की रीढ़ है। लेकिन इन दिनों यही फसल अमानक बीज, नकली आदानों और संस्थागत भ्रष्टाचार के कारण संकट में है। बीज की गुणवत्ता और सरकारी जवाबदेही पर सवाल उठाते हुए पूर्व कृषि सलाहकार परिषद सदस्य केदार सिरोही ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक खुला पत्र लिखा है, जो अब देशभर के किसानों की आवाज बनता जा रहा है।

बीज माफिया का बढ़ता शिकंजा

सिरोही ने अपने पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं कि राज्य में TL, F1 और F2 जैसी बीज श्रेणियों के नाम पर खुलेआम अमानक और गैरप्रमाणित बीजों की बिक्री हो रही है। यह भी पूछा गया है कि 70% TL बीज आखिर किस आधार पर बेचे जा रहे हैं, जबकि इनकी प्रमाणिकता संदिग्ध है। इससे न केवल किसान को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि खेत की उपजाऊ क्षमता पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।

बीज प्रमाणीकरण संस्था पर उठे सवाल

बीजों की गुणवत्ता की निगरानी और प्रमाणीकरण के लिए बनी मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था खुद कठघरे में खड़ी है। सिरोही ने स्पेशल ऑडिट की मांग की है ताकि संस्था में चल रहे संभावित संगठित घोटालों का पर्दाफाश हो सके। उनका कहना है कि जब तक संस्था पारदर्शी नहीं होती, तब तक किसानों के विश्वास की बहाली मुश्किल है।

बीज कंपनियों की जवाबदेही तय हो

पत्र में यह भी स्पष्ट मांग की गई है कि राज्य में कार्यरत बीज कंपनियों की बैलेंस शीट, उत्पादन स्रोत और वितरण प्रणाली की स्वतंत्र ऑडिट से जाँच की जाए। क्योंकि जब तक निजी कंपनियाँ जवाबदेह नहीं होंगी, तब तक नकली बीजों की बिक्री पर लगाम लगाना असंभव है।

वैज्ञानिक पुष्टि के लिए लैब की ज़रूरत

बीजों की जेनेटिक शुद्धता की जांच के लिए राज्य स्तर पर Genetic Purity Labs की स्थापना का सुझाव दिया गया है। यह न केवल बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा, बल्कि किसानों को वैज्ञानिक आधार पर प्रमाणित विकल्प उपलब्ध कराएगा।

नेशनल सीड पोर्टल को बनाया जाए पारदर्शी

वर्तमान में नेशनल सीड पोर्टल पर बीज उत्पादकों की जानकारी छुपी रहती है। श्री सिरोही ने मांग की है कि बीज उत्पादक किसानों और कंपनियों की पहचान सार्वजनिक की जाए ताकि किसान खुद सही विकल्प का चुनाव कर सकें और किसी धोखाधड़ी से बच सकें।

नकली खाद और दवाइयों पर हो सख्त कार्रवाई

बीज के साथ-साथ नकली खाद और कीटनाशकों का बाजार भी बेरोकटोक चल रहा है। किसानों को नुकसान सिर्फ पैदावार में नहीं, बल्कि जमीन की गुणवत्ता में भी भुगतना पड़ रहा है। श्री सिरोही का कहना है कि नकली आदानों पर सरकार को तत्काल कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।

C1 बीज पर रोक की मांग

पत्र में एक विशेष मुद्दा C1 बीज उत्पादन को लेकर भी उठाया गया है। उनके अनुसार यह श्रेणी न तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उचित है और न ही किसानों के हित में। इसकी जगह Breeder या F1 बीज का ही प्रयोग होना चाहिए, ताकि गुणवत्ता बनी रहे।

राजनीति या समाधान – मंत्री का दौरा किस ओर इशारा करता है?

सिरोही ने शिवराज सिंह चौहान के पुराने ज़मीन से जुड़े नेता के रूप की याद दिलाते हुए कहा कि, “जब आप पाँव-पाँव वाले भैया थे तब खेती किफायती थी, अब जब आप हेलीकॉप्टर से उतरते हैं तो किसानों की लागत भी आसमान छूने लगी है।” यह कटाक्ष केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि एक गहरी पीड़ा और सवाल है, क्या मंत्रीजी किसानों के बीच भरोसे का रिश्ता दोबारा कायम कर पाएंगे?

कृषक समाज के तीखे सवाल

  • क्या बीज प्रमाणीकरण संस्था की निष्पक्ष जांच होगी?
  • क्या नकली बीज और खाद बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी?
  • क्या नेशनल सीड पोर्टल पारदर्शी बनेगा?
  • और सबसे महत्वपूर्ण – इन सब पर अमल कब होगा?