भरतपुर के हलेना में किसान सम्मेलन! पानी और फसलों के उचित दाम को लेकर आवाज बुलंद

भरतपुर के हलेना में रविवार, 12 जनवरी 2025 को किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व पूर्व सांसद पंडित रामकिशन, किसान नेता इंदल जाट और विभिन्न किसान संगठनों ने किया। सम्मेलन में किसानों की मांगों को लेकर जोरदार चर्चा हुई।

सम्मेलन में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी

इस सभा में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, चढ़ूनी किसान यूनियन के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र मोर, आईटी सेल अध्यक्ष रमेश चौधरी, भरतपुर संभाग अध्यक्ष निर्भय सिंह बडेसरा, अलवर जिला अध्यक्ष ताहिर, और हरियाणा के रेवाड़ी जिला अध्यक्ष समय सिंह यादव सहित अन्य प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे। जय किसान संगठन के दीपक लाम्बा ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।

किसानों की मुख्य मांगें

किसानों ने अपने जल-संसाधनों और फसल के उचित दाम को लेकर कई प्रमुख मुद्दे उठाए:

  • पांचना बांध का पानी: किसानों ने मांग की कि पांचना बांध का पानी उनके हक के अनुसार बांटा जाए।
  • PKC परियोजना: परियोजना के पहले चरण में किसानों को सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराया जाए।
  • फसलों का उचित दाम: किसानों ने फसलों के लिए वाजिब कीमत सुनिश्चित करने की अपील की।
  • बाणगंगा और गंभीर नदी को जोड़ा जाए: सिंचाई के लिए पानी की समस्या हल करने हेतु दोनों नदियों को जोड़ने की मांग की गई।

सत्यपाल मलिक का किसानों को संदेश

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों को पानी के अधिकार के लिए संगठित होकर लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब तक PKC परियोजना का पानी किसानों तक नहीं पहुंचता, तब तक इस मुद्दे को हर गांव में जागरूकता अभियान के जरिए उठाया जाए। उन्होंने सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन को मजबूती से आगे बढ़ाने की बात कही।

चढ़ूनी किसान यूनियन का बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी

राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र मोर ने कहा कि अगर सरकार PKC परियोजना के समझौते को सार्वजनिक नहीं करती और पहले चरण में किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं देती, तो एक बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। उन्होंने कहा, “पानी पर पहला हक किसानों का है, न कि फैक्ट्रियों और उद्योगों का। सरकार जानबूझकर समझौते की जानकारी छिपा रही है।”

किसानों के हक की लड़ाई को और तेज करने का आह्वान

सम्मेलन में यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि पानी और फसलों के उचित दाम को लेकर किसान किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे। हलेना का यह आयोजन किसानों के अधिकारों के लिए एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है। इस आंदोलन ने न केवल भरतपुर, बल्कि पूरे राजस्थान में किसानों के लिए एक नई ऊर्जा का संचार किया है।