धान के भावों में गिरावट आने से किसान निराश, करने लगे स्टाक

स्वतंत्र समय, बरेली

जिस वासमती धान से निकले चावल की खुशबू और स्वाद देश, विदेश तक फैला हुआ है। बाड़ी, बरेली क्षेत्र के हजारों किसानों द्वारा लाखों कुन्टल वासमती धान का प्रतिवर्ष उत्पादन कर देश का चावल भण्डार भरा जा रहा है। धान के भाव 44 से 45 सौ रूपये कुन्टल होने के बाद भावों में आई 5-6 सौ रूपये कुन्टल की गिरावट से धान की खेती करने वाले हजारों किसान निराश हो रहे है। वासमती धान को न तो जीआई टैग मिला और न ही इसका कोई समर्थन मूल्य निर्धारित होती है। वासमती धान की खरीद बड़ी-बड़ी मिलने एवं अन्य प्रदेशों के व्यापारियों द्वारा अपने मूल्य पर खरीद की जाती है।

धान के भावों में गिरावट

बाड़ी बरेली क्षेत्र वासमती धान का विशेर्ष उत्पादक क्षेत्र बना हुआ है। बरेली, चारगांव, मण्डीदीप, बाड़ी में दो चार ही चावल मिला है। वासमती, चावल बैचने वाली बड़ी कंपनियों द्वारा दलालों के माध्यम से वासमती धान की खरीद की जाती है। धान के भावों में अचानक आई गिरावट को किसानों की समक्ष से पर बनी हुई है।
दिसम्बर एवं जनवरी माह में धान में भाव 4 हजार रूपये कुन्टल से ऊपर बने रहे। दोनों महिनों में छुट्टियां भी अधिक नहीं और मण्डी बंद रहने की स्थिति रही। पिछले 8-10 दिनों में वासमती धान के भावों में आई गिरावट किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का कारण बनी रही है। किसान अपनी आर्थिक जरूर तो को पूरा करने कम भवों पर धान बेचने मजबूर बने हुए है।

धान का स्टाक शुरू

जिस प्रकार वासमती धान के भावों में गिरावट आई है। उससे किसान निराश है। जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक है। ऐसे किसान 4 हजार से नीचे भाव पर धान बेचने के स्थान पर धान का स्टाक करने लगे है। गांव-गांव धान के ढेर लगे नजर आ रहे है। धान के भाव कम होने के कारण मण्डी में भी धान की आवक कम होने लगी है। यदि वासमती धान को जीआई टैग मिला होता, वासमती धान का समर्थन मूल्य होता तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाने की स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।