देश की सबसे स्मार्ट तकनीक फास्टैग पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया हैं। पिछले कुछ दिनों से घर के बाहर खड़ी गाड़ियों का ही टोल-टैक्स कटने लगा है। जिन लोगों ने जिस सड़क पर कभी सफर नहीं वहां की सड़को का टोल ट्रेक्स कट गया। ऐसी घटनाएं अब लगातार सामने आ रही हैं। मामला ग्वालियर जिले से सामने आया है। जहां फास्टैग को शुरू किया गया था ताकि टोल प्लाजा पर झंझट कम हो, लेकिन अब वही सिस्टम आम लोगों की जेब हल्की कर रहा है। न सिर्फ गाड़ियों के मालिक हैरान हैं, बल्कि यह शक भी गहराता जा रहा है कि कहीं यह किसी संगठित फर्जीवाड़े का हिस्सा तो नहीं बन गया है।
गाड़ी ग्वालियर में – टोल कटा महाराजपुरा में!
ग्वालियर के होटल संचालक अंशुल गुप्ता की कार MP07ZD3941 उनके पिता के नाम पर रजिस्टर्ड है, लेकिन फास्टैग उनके खुद के बैंक खाते और मोबाइल से लिंक है। इनका कहना है कि 23 मई को उनकी कार ग्वालियर के महाराज बाड़े में घर के बाहर खड़ी थी। लेकिन तभी मोबाइल पर टोल कटने का मैसेज आया। जिसमें 60 रुपये बरेठा टोल प्लाजा (महाराजपुरा) से काटने का मैसेज आया जो उस वक्त की लोकेशन से सैंकड़ों किलोमीटर दूर था। ऐसी ही एक ओर घटना के अनुसार संजय यादव, केशर अपार्टमेंट के निवासी, रोज भिंड रोड स्थित अपनी फैक्ट्री जाते हैं। 24 मई को वे हमेशा की तरह अपनी कार MP07CG5566 से फैक्ट्री पहुंचे और कार वहीं परिसर में खड़ी रही। लेकिन काम के दौरान अचानक उनके मोबाइल पर टोल कटने का नोटिफिकेशन आया। लेकिन इस बार रकम थी 665 रुपये जिसे देख कर संजय यादव हैरान हो गए। यहीं हैरान संजय यादव ने हेल्पलाइन पर कॉल किया, मेल भी भेजे लेकिन टोल सिस्टम जैसे ‘किसी भूतिया नेटवर्क’ में तब्दील हो गया हो। कोई जवाब नहीं।
क्या नंबर प्लेट से कट रहा टोल-टैक्स?
अब सवाल यह उठता है कि गाड़ियां जब एक जगह खड़ी हैं, तो टोल टैक्स किसी दूसरी जगह से कैसे कट रहा है? क्या गाड़ी के नंबर प्लेट की क्लोनिंग हो रही है? या फास्टैग सिस्टम में डेटा मिक्सिंग जैसी कोई तकनीकी खामी है। यह घटना साइबर ठगी की ओर भी इशारा कर रही है। जानकारों का मानना है कि नंबर प्लेट डुप्लीकेशन के मामलों में फर्जी गाड़ियां असली नंबरों का इस्तेमाल कर टोल पार कर रही हैं। कई बार अपराधी गाड़ियों की नकली नंबर प्लेट लगाकर अपराध करते हैं और असली मालिक को इसका पता ही नहीं चलता सिवाय उस वक्त जब टोल मैसेज आता है। इस तरह की घटनाओं की शिकायत कहां की जाए इसतरह की कोई जागरूकता नहीं फैलाई गई है या इसकी जानकारी भी आमजनता को नहीं है ऐसे में फास्टैग अलग कंपनियां जारी करती हैं जैसे बैंक या वॉलेट एप्स। यहीं टोल प्लाजा का संचालन कोई और करता है। ऐसे में इसकी जिम्मेदारी किसकी है यह तय नहीं होने से कार मालिकों में खौफ बैठ गया है।