Female Naga Sadhu : प्रयागराज में महाकुंभ की भव्य शुरुआत हो चुकी है, और आस्था का यह महोत्सव हर तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है। इस 45-दिनों के महायज्ञ में करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। महाकुंभ में लाखों नागा और अघोरी साधु-संतों की मौजूदगी इसकी आध्यात्मिक गरिमा को और बढ़ा देती है। खास बात यह है कि पुरुष नागा साधुओं के साथ-साथ महिला नागा साधुओं की भी बड़ी संख्या इस बार पवित्र स्नान करने पहुंची है।
महिला नागा साधुओं की अनोखी दुनिया
महिला नागा साधुओं का जीवन त्याग, तपस्या और कठिन अनुशासन का प्रतीक है। इनमें से कई साध्वियां डॉक्टर, इंजीनियर, या अभिनेत्री रह चुकी हैं। इनमें विधवा महिलाओं का बड़ा प्रतिशत शामिल है, जो साधारण साध्वी बनने के बजाय नागा साधु बनने को प्राथमिकता देती हैं।
विधवा महिलाएं क्यों बनती हैं नागा साधु?
भारत और नेपाल जैसे देशों में विधवा महिलाओं को सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। खासकर नेपाल में उच्च जाति की विधवाओं के लिए पुनर्विवाह एक वर्जित विषय है। ऐसे में कई विधवा महिलाएं नागा साधु बनने का मार्ग अपनाती हैं। जूना अखाड़ा जैसे प्रतिष्ठित संप्रदायों में तीन-चौथाई महिला नागा साधु नेपाली विधवाएं हैं। ये महिलाएं अपने पुराने जीवन को त्यागकर आध्यात्मिकता की राह पर चल पड़ती हैं।
नागा साधु बनने की प्रक्रिया और नियम
- निर्वस्त्र रहने का नियम: पुरुष नागा साधुओं के विपरीत महिला नागा साधुओं को बिना सिला हुआ कपड़ा, जिसे “गंती” कहा जाता है, पहनना पड़ता है।
- ब्रह्मचर्य का पालन: नागा साधु बनने से पहले महिलाओं को 6 से 12 वर्षों तक ब्रह्मचर्य का कठोर पालन करना होता है।
- पिंडदान और ईश्वर समर्पण: नागा बनने के लिए हर सांसारिक बंधन, यहां तक कि अपनी संतान से भी नाता तोड़ना पड़ता है। अपने पुराने और आगामी जन्मों के लिए पिंडदान करना इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- गुरु से दीक्षा: महिला नागा साधु बनने के लिए गुरु की अनुमति आवश्यक होती है। दीक्षा के बाद गंगा स्नान कर उन्हें नागा साधु घोषित किया जाता है।
नागा साधु बनने के बाद का जीवन
नागा साधु बनने के बाद महिलाएं पूरी तरह से आध्यात्मिकता और ईश्वर को समर्पित हो जाती हैं। उनका जीवन तप और ध्यान में व्यतीत होता है। माथे पर तिलक लगाना और धर्म की सेवा करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है।