Mohan Government : मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार एक बार फिर 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना बना रही है। यह कर्ज 26 नवंबर को ई-नीलामी प्रक्रिया के जरिए लिया जाएगा, जहां सरकार अपने सरकारी बांड या स्टॉक गिरवी रखकर धनराशि जुटाएगी। इस कर्ज को दो हिस्सों में लिया जाएगा, प्रत्येक 2,500 करोड़ रुपये का होगा। कर्ज की यह राशि 27 नवंबर को सरकार के खजाने में जमा हो जाएगी।
कर्ज की शर्तें
- सरकार 20 साल और 14 साल की अवधि के लिए दो अलग-अलग ऋण ले रही है।
- यह कर्ज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के माध्यम से उठाया जाएगा।
इस साल 40,500 करोड़ रुपये का कर्ज
जनवरी 2024 से लेकर अब तक, यानी केवल 11 महीनों में, राज्य सरकार कुल 40,500 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। यह राशि मुख्य रूप से राज्य की विकास योजनाओं और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए उपयोग की जा रही है।
प्रदेश पर बढ़ता कर्ज का बोझ
मौजूदा समय में, मध्य प्रदेश पर कुल कर्ज का आंकड़ा 3 लाख 90 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य पर लगातार बढ़ रहा कर्ज वित्तीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।
वित्तीय दबाव का असर
राज्य सरकार के कर्ज लेने की प्रक्रिया विकास योजनाओं और जरूरी खर्चों के लिए जरूरी हो सकती है, लेकिन इसके चलते प्रदेश की जनता पर कर्ज का भार बढ़ रहा है। यह स्थिति राज्य की आर्थिक सेहत के लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर सकती है।
सरकार के लिए कर्ज लेना भले ही मौजूदा परिस्थितियों में जरूरी हो, लेकिन यह स्थिति राज्य की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को अपने वित्तीय प्रबंधन में अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए।