मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार में मंत्री तुलसीराम सिलावट के करीबी कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी के खिलाफ पुलिस ने तीन महीने की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार गंभीर घाटा और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। जैसवानी पर रशियन नागरिक गौरव अहलावत के साथ 21.76 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है, साथ ही अन्य धाराओं में भी मामला दर्ज किया गया है। लसूड़िया थाना पुलिस ने संजय जैसवानी के अलावा उनके भाई विजय जैसवानी, संजय कलवानी, दिनेश मनवानी, नितिन जीवनानी, कंचन जीवनानी सहित अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह केस बीएनएस घाटा318 (4), 338, 336 (3), 340 (2) और 61(2) के तहत दर्ज हुआ है, और यह केस गौरव अहलावत के आवेदन पर हुआ है। इस मामले में अब जैसवानी की गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।
एफआईआर में लिखा गया है कि परिवादी गौरव अहलावत और उसकी कंपनी को हानि पहुंचाने की नियत से संजय जैसवानी और उनके सहयोगियों ने कूटरचित लोन एग्रीमेंट तैयार किया। 30 सितंबर 2023 को फर्जी प्रस्ताव पास कर जीआरवी कंपनी के 21.76 करोड़ के शेयर्स को अपनी कंपनियों के नाम कराकर धोखाधड़ी की।
जब मंत्री तुलसीराम सिलावट के पुत्र चिंटू सिलावट को इस मामले में पुलिस द्वारा केस दर्ज किए जाने की खबर मिली, तो वह अपने कारोबारी संबंधों को निभाने के लिए रात को लसूड़िया थाने पहुंचे। लेकिन कोर्ट के आदेश होने के कारण उनकी एक नहीं चली और मामला सीधे डीजीपी तक पहुंच गया। इसके बाद चिंटू सिलावट को उलटे पैर लौटना पड़ा। यह भी उल्लेखनीय है कि नीतीश सिलावट, यानी चिंटू, जैसवानी के ग्रुप की एक कंपनी में डायरेक्टर रह चुके हैं।
इस मामले में तीन महीने तक पुलिस ने गौरव अहलावत की बातों को नजरअंदाज किया, और उलटे उनके खिलाफ फर्जी जानकारी पर आधारित धोखाधड़ी का केस दर्ज किया। जैसवानी और राजनीतिक दबाव के चलते दो करोड़ की धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था, और अहलावत की मां को भी आरोपित बना दिया गया था। इसके बाद, अहलावत ने कोर्ट में परिवाद लगाया, और 6 दिसंबर को कोर्ट ने आदेश दिया कि जैसवानी और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया जाए।
हालांकि, पुलिस मामले में कार्रवाई टालती रही। इस बीच, रशियन एंबेसी से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम पर एक पत्र आया, जिसमें अहलावत के हितों का ध्यान रखने की बात कही गई। इसके बाद, अहलावत ने डीजीपी कैलाश मकवाना से संपर्क किया और पूरी घटना बताई। ईमानदार डीजीपी ने सीपी संतोष सिंह से बात की और इस मामले में एक्शन लेने का निर्देश दिया। इस बीच, पुलिस की टालमटोल जारी रही, लेकिन अंततः मामला गंभीर होते देख, पुलिस ने ना चाहते हुए भी एफआईआर दर्ज कर लिया।
इस मामले में जो स्टाम्प 2024 में जारी हुए, उनमें बैकडेट में 2020-21 के दौरान के एग्रीमेंट बनाए गए, जिसमें गौरव अहलावत की कंपनी को 20 करोड़ रुपए का लोन देने की बात कही गई। इसके बाद, जो राशि जैसवानी की केम्को ग्रुप की विभिन्न कंपनियों से गौरव के पास पहुंची, वह अगले ही दिन केम्को च्यू फूड कंपनी में शिफ्ट कर दी गई। इसके बारे में पूरी आडिट रिपोर्ट भी मौजूद है।
फर्जी एग्रीमेंट के आधार पर, एक बोर्ड में प्रस्ताव सितंबर 2023 में पास किया गया, जिसके तहत 9 से 11 सितंबर 2024 के दौरान अहलावत की जीआरवी कंपनी के 76 फीसदी शेयर जैसवानी के पास शिफ्ट हो गए, और पूरी कंपनी और फैक्ट्री पर कब्जा कर लिया गया। इन सभी सबूतों के बावजूद, पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया और राजनीतिक दबाव के चलते मामले को टाल दिया।
जब जैसवानी की कंपनी के डायरेक्टर करतार सिंह ने आवेदन दिया, तो तत्काल दो करोड़ की धोखाधड़ी का केस अहलावत और उनकी मां पर दर्ज किया गया। हालांकि, यह दो करोड़ पुराना लेन-देन था और इसे जमा करने के लिए जैसवानी और उनकी भांजी कंचन के साथ गौरव की पूरी चैट मौजूद थी। इस मामले में कोई धोखाधड़ी नहीं हुई थी और यह केस विशुद्ध रूप से दबाव में दर्ज किया गया था।