श्रावण मास का आगमन 11 जुलाई से हो चुका है, और जैसे ही यह पवित्र महीना शुरू होता है, चारों ओर शिव नाम की गूंज सुनाई देने लगती है। यह पूरा महीना भगवान भोलेनाथ की आराधना को समर्पित होता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि सावन के महीने में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से शिव पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। खासकर सावन के सोमवार का धार्मिक महत्व अत्यधिक माना जाता है, और इस बार पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है।
हालांकि 14 जुलाई को पहला सोमवार है, लेकिन इसी दिन भद्रा नामक अशुभ योग भी पड़ रहा है। शास्त्रों में भद्रा के दौरान किसी भी शुभ कार्य, खासकर पूजा-पाठ और जलाभिषेक को वर्जित माना गया है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस दिन भद्रा का साया सुबह 11:26 बजे से लेकर 11:42 बजे तक रहेगा। यह समय पूजा के लिए उपयुक्त नहीं है, इसलिए भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे इससे पहले ही भगवान शिव का पूजन संपन्न कर लें।
शिव पूजन का सर्वोत्तम मुहूर्त
अगर आप सावन के पहले सोमवार को शुभ मुहूर्त में शिव आराधना करना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे उत्तम समय सुबह 5:05 बजे से लेकर 11:20 बजे तक है। इस अवधि में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन की तमाम बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है। इस दौरान शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाना, बेलपत्र अर्पित करना और ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करना अत्यंत फलदायक माना गया है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
इस दिन शिव उपासना करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि पूजा भद्रा काल के भीतर न हो। चूंकि भद्रा मृत्यु लोक में मानी जा रही है, ऐसे में इस समय पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। यदि संभव हो तो जलाभिषेक और मंत्रोच्चारण सुबह 11:26 बजे से पहले ही पूरा कर लें।