उत्तर प्रदेश में बाढ़ का कहर, गंगा का जलस्तर खतरे के पार, वाराणसी-प्रयागराज में स्कूल बंद, राहत कार्यों में जुटी एनडीआरएफ-एसडीआरएफ

उत्तर प्रदेश में बाढ़ की स्थिति दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों को पूरी ताकत के साथ अंजाम देना शुरू कर दिया है। अब तक करीब 1.72 लाख से अधिक नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर उन्हें आवश्यक मदद दी जा चुकी है। प्रशासन की ओर से राहत अभियान युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की कुल 77 टीमें लगातार काम कर रही हैं।

21 ज़िले बाढ़ की चपेट में, पूर्वांचल सबसे अधिक प्रभावित

उत्तर प्रदेश के कुल 21 ज़िले इस बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। पूर्वांचल क्षेत्र के मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया में हालात सबसे चिंताजनक हैं। वहीं, अन्य जिलों जैसे लखीमपुर खीरी, आगरा, कानपुर नगर, फतेहपुर, औरैया, चित्रकूट, फर्रुखाबाद, कासगंज, प्रयागराज, हमीरपुर, बांदा, अमेठी, इटावा, जालौन और कानपुर देहात में भी पानी का कहर जारी है। इन सभी क्षेत्रों में जिला प्रशासन, आपदा राहत दल और पुलिस बल मिलकर लगातार निगरानी और बचाव कार्य कर रहे हैं।

आपदा राहत बल की व्यापक तैनाती और बचाव प्रयास

राज्य सरकार ने राहत कार्यों के लिए कुल 77 टीमें विभिन्न जिलों में तैनात की हैं। इसमें एनडीआरएफ की 14, एसडीआरएफ की 15 और पीएसी की 48 टीमें शामिल हैं। इन बलों की मदद से 38,615 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। साथ ही, 20,000 से अधिक मवेशियों को भी सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है, जिससे पशुधन की रक्षा की जा सके।

खाद्य सामग्री और भोजन की व्यापक आपूर्ति

सरकार ने बाढ़ पीड़ितों की भूख मिटाने के लिए भोजन वितरण की व्यापक व्यवस्था की है। अब तक 1,20,000 से ज्यादा खाद्यान्न पैकेट और 1,63,000 से अधिक लंच पैकेट जरूरतमंदों को दिए जा चुके हैं। इसके अलावा, 39 स्थायी लंगर भी सक्रिय हैं, जहां से लोगों को नियमित रूप से गरम और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। यह व्यवस्था प्रभावित लोगों को राहत देने में अहम भूमिका निभा रही है।

गंगा का बढ़ता जलस्तर बन रहा है सबसे बड़ी चुनौती

बाढ़ की गंभीरता को और बढ़ा रहा है गंगा नदी का लगातार बढ़ता जलस्तर। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को दिनभर जलस्तर 0.5 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ता रहा, लेकिन शाम 7 बजे के बाद यह गति दोगुनी होकर 1 सेमी प्रति घंटे हो गई। वाराणसी में गंगा का जलस्तर 72.11 मीटर तक पहुंच गया है। बलिया में खतरे के निशान 57.61 मीटर को पार कर 59.61 मीटर तक पहुंच गया है। मिर्जापुर में यह स्तर 78.37 मीटर तक हो गया है, जबकि खतरे का निशान 77.72 मीटर है। गाजीपुर में जलस्तर 64.35 मीटर हो गया है, जबकि खतरे का निशान 63.10 मीटर है। विशेषज्ञों का मानना है कि कानपुर बैराज से छोड़ा गया लगभग डेढ़ लाख क्यूसेक पानी अगले चार दिनों में बनारस पहुंचेगा, जिससे स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।

डूबने की घटनाओं से जनहानि, बांधों के फाटक खोले गए

बाढ़ के चलते अब तक कई जानें भी जा चुकी हैं। वाराणसी में 19 वर्षीय युवक छोटू राजभर की डूबने से मौत हुई। बलिया में 46 वर्षीय लाल बहादुर धोबी की जान चली गई। गाजीपुर में 31 वर्षीय राजू की मृत्यु हुई। सोनभद्र जिले में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रिहंद और ओबरा बांधों के कुल 9 फाटक खोलकर पानी छोड़ा गया है, जिससे निचले इलाकों में जलभराव और अधिक बढ़ सकता है।

स्कूलों में छुट्टी की घोषणा, बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता

राज्य सरकार ने छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई जिलों में स्कूलों को बंद रखने का निर्णय लिया है। मिर्जापुर में 7 अगस्त तक कक्षा 12 तक के सभी स्कूल बंद रहेंगे। गाजीपुर में मंगलवार और बुधवार को 8वीं तक के स्कूलों में अवकाश रहेगा। वाराणसी में भी मंगलवार और बुधवार को कक्षा 12 तक के स्कूल बंद कर दिए गए हैं। सोनभद्र और चंदौली में मंगलवार को कक्षा 8 तक के स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार कर रहे निगरानी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी संबंधित विभागों को 24×7 राहत और बचाव कार्यों की निगरानी करने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी जिले में राहत कार्यों में कोताही न हो। जिलाधिकारियों को स्थानीय हालात पर लगातार नजर रखने और ज़रूरतमंदों को तत्काल सहायता पहुंचाने के आदेश दिए गए हैं। प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस बल और स्वास्थ्य टीमें राहत और पुनर्वास कार्यों में पूरी तरह सक्रिय हैं।