गणपति स्वरूप हाथियों को लगाई जाएंगी विदेशी कॉलरआईडी, मानव-हाथी संघर्ष पर लगेगा विराम

हमारे देश में हाथी को गणपति महाराज का स्वरूप माना जाता है जिसके चलते हम चतुर्थी के दिन हाथी जैसे सुंड वाले गणपति महाराज को लंबोदर सहित कई अन्य नामों से संबोधित करते है। भगवान गणेश को हाथी का सर लगा होने की मान्यताओं के चलते हाथियों को विशेष महत्व देते है। इसी के चलते अब मोहन सरकार ने भी जंगली हाथियों के विशेष संरक्षण के प्रयास शुरू कर दिए है। मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा हाथियों के संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदमों में जंगली हाथियों को कैद ना करने का निर्णँय तो लिया ही गया है। लेकिन इसके चलते होने वाले मानव-हाथी संघर्ष को भी रोकना एक बड़ी चुनौती को रोकने के लिए भी कदम उठाए है।

15 दिन से अधिक ना रखे कैद
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ के समक्ष हाथी के मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान एक्सपर्ट कमेटी के चेयरमैन ने अवगत कराया कि कान्हा में रखे गए जंगली हाथी को 15 दिन में छोड़ दिया जाए। हाई कोर्ट ने उक्त जानकारी को रिकॉर्ड पर ले लिया। इसी तरह पहले भी शहडोल से पकड़कर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व लाए गए हाथी की मौत को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन को फटकार लगाई। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जंगली हाथियों को पकड़ने की प्रक्रिया में वाइल्ड लाइफ एक्ट का पालन किया जाए।
अंतिम कदम होता है जंगली हाथी को पकड़ना
हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइन के अनुसार जंगली हाथियों को पकड़ने का कदम अंतिम उपाय के रूप में होना चाहिए। लेकिन मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रवेश करते हैं। इससे फसलें बर्बाद होती हैं और घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। कुछ मामलों में जंगली हाथियों के हमलों में लोगों की जान भी जा चुकी है।

अब लगेगी विदेशों से मंगवाई कॉलर आईडी
प्रदेश सरकार की तरफ से पेश एक रिपोर्ट में बताया गया था कि वर्ष 2017 से अब तक 10 जंगली हाथियों को पकड़ा गया। जिसमें से दो हाथियों को विदेश से मंगवाई गई कालर आईडी पहनाकर छोड दिया गया है। इसके बाद प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि अब एमपी में आने वाले जंगली हाथियों को विदेशो से मंगवाई गई सेटेलाइट कॉलर आईडी पहना कर छोड़ दिया जाएगा ताकि वह जहां भी घुमेंगे उसकी जानकारी वन विभाग के पास होगी। हमारे देश में आज भी सेटेलाइट कॉलर आईडी की तकनीक नहीं होने से हमें विदेशों से हाथियों के लिए कॉलर आईडी मंगा कर उनका संरक्षण करना पड़ता है। यह हमारी आस्था का ही प्रतिक है कि हम हाथी को भगवान गणेश का स्वरूप मानते है और उनके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करते है।