प्रयागराज में महाकुंभ की शोभा बढ़ाने के लिए लुप्तप्राय इंडियन स्कीमर प्रयागराज पहुंच चुके है। वहीं इंडियन स्कीमर के 150 जोड़ों के कलरव से पूरा वातावरण गुंजायमान है। जिनके मधूर कलरव और गंगा मैया की लहरों की संगीतमयी कल-कल से यहां का पूरा वातावरण मन को सकून देते वातावरण में तब्दील हो चुका है। महाकुंभ में पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालूओं को इस बार महाकुंभ में पक्षियों के कलरव के साथ, संगम की रेत पर रंग बिरंगी भी नजर आएगी।
चीन की बुलेट ट्रेने से भी तेज उड़ान भरने वालें मेहमान का इंतजार
अब प्रयागराज में सबसे तेज उड़ने वाले पेरेग्रीन फाल्कन का इंतजार किया जा रहा है। यह पक्षी जापान सहित चीन की बुलेट ट्रेन से भी तेज रफ्तार में उड़ता है। वहीं यह पक्षी 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार में हवा से बातें करता है। युपी सरकार के द्वारा संगम क्षेत्र में यह अलौकिक दृश्य प्रदेश में इको टूरिज्म को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
आकर्षण का केंद्र बने इंडियन स्कीमर
महाकुंभ की शुरुआत से पहले ही इंडियन स्कीमर फिलहाल रेत के टीले पर सुबह शाम टहलते हुए आसानी से दिख जाते हैं। जिन्हें देखने के लिए यहां पर आने वाले श्रद्दालूओं सहित स्थानिय लोगों का तांता लगा रहता है। यहां मां गंगा के किनारे साइबेरियन और ब्लैक क्रेन, सारस की 90 से अधिक प्रजातियों के पक्षी महाकुंभ में श्रद्दालूओं के स्वागत के लिए पहले ही पहुंच चुके है। अभी 02 साल पहले प्रयागराज में पेरेग्रीन फाल्कन को भी देखा जा चुका है विभिन्न प्रकार के देशी और विदेशी पक्षी संगम को मुफीद मानते हुए महाकुंभ की शोभा बढ़ाने आ चुके हैं। इनमें साइबेरिया, मंगोलिया, अफगानिस्तान समेत 10 से अधिक देशों से ये विदेशी मेहमान महाकुंभ का आनंद बढ़ाने के लिए आए हैं।
पनचीरा के नाम से जाना जाता है इंडियन स्कीमर
भारत में इनको पनचीरा कहा जाता है, यह पानी को चीरते हुए आगे बढ़ते हैं। इनकी एक चोंच छोटी तो दूसरी बड़ी होती है। साइबेरियन पक्षी गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर टापू को अपना बसेरा बनाते है। साइबेरिया सहित मंगोलिया और अफगानिस्तान समेत 10 से अधिक देशों से आए साइबेरियन पक्षी महाकुंभ तक यहां वक्त बिताएंगे।
पक्षी पेरेग्रीन फाल्कन का किया जा रहा इंतजार
दुनिया में सबसे तेज गति से उड़ने वाला पक्षी पेरेग्रीन फाल्कन भी महाकुंभ के दौरान संगम तट पर देखा जा सकता है। इसे रॉकेट बर्ड भी कहते हैं। यह आम तौर पर उत्तरी अमेरिका में मिलता है। पक्षी वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्ष 2022 में इसे संगम के किनारे देखा गया था। माना जा रहा है कि प्रयागराज में महाकुंभ तक यह इस बार भी संगम की शोभा को बढ़ाएगे।