इंदौर की फाग यात्रा (Ger) देखने आते हैं विदेशी


रामकृष्ण नागर (नाना) की रिपोर्ट

दौर शहर में रंगपंचमी को निकलने वाली गैर (Ger) का इतिहास तो सौ साल पुराना है.. पर महिलाओं की उपस्थिति शून्य ही रहती थी.. क्योंकि इन रंगपंचमी की गैरों में पुरुष भी सुरक्षित बचकर घर नहीं आ पाता था… आज से 27 वर्ष पूर्व सराफा क्षेत्र में जब तत्कालीन विधायक लक्ष्मणसिंह गौड़ ‘लखन दादा’ खुद इन गैरों की मस्ती में मस्त अपने ही साथियों का शिकार होकर फटे कुर्ते घर आए होंगे तो निश्चित ही बहुत पीड़ा हुई होगी। उन्होंने होली के इस पवित्र पावन रंगपंचमी गैर का विकृत स्वरूप को सुधारने का बीड़ा उठाया।

1998 में राधा कृष्ण फाग यात्रा (Ger) की शुरुआत हुई

अपनी टीम में वरिष्ठ रणनीतिकार पुष्पेंद्र धनोतिया, मुकेश जैन सराफा, महेश सोनी डग, मुकेश जैन शांति प्रिय के साथ बैठकर अपनी पीड़ा व्यक्त की और अगले साल 1998 की धुलेंडी वाले दिन अपने साथ कैलाश शर्मा, शंकर यादव, रविन्द्र सिंह गौड़, राकेश जैन, जिनेन्द्र जैन, राजेंद्र सोनी, प्रीतम लूथरा सहित अनेकों कार्यकर्ताओं के साथ भगवान राधा-कृष्ण की मूर्ति लेकर फाग यात्रा (गैर) निकालने का ऐलान कर दिया। जब लखन दादा कोई ऐलान कर दें तो स्वाभाविक है पुलिस का सरदर्द बढ़ जाता। पुलिस प्रशासन ने भी नई निकलने वाली फाग यात्रा को अनुमति नहीं दी। लेकिन दादा की जिद्द थी इस अश्लील और भद्दे पर्व की गंदगी को सुधारने की.. लखन दादा को मंजूरी नहीं मिली और प्रशासन ने सभी को गिरफ्तार करके राधाकृष्ण की मूर्ति को कब्जे में लेने की कोशिश की, लेकिन दादा ने मूर्ति नहीं दी, तब पुलिस ने उन पर खूब लाठियां भांजी..लेकिन रंग पंचमी पर प्रशासन से अनुमति लेकर राधा कृष्ण फाग यात्रा की शुरुआत हो ही गई।

ये फाग यात्रा (Ger) गिनीज बुक में भी अपना स्थान बना चुकी है

समाज सुधारने का बीड़ा उठाने वाले लखन दादा ने फाग यात्रा (Ger) में ऐसा परिवर्तन किया कि आज सैकड़ों महिलाएं रंग पंचमी पर घर से बेखौफ होकर फाग यात्रा में शामिल होती हैं। पूरे देश में विख्यात हो चुकी इस फाग यात्रा को देखने पूरे देश के साथ विदेशी भी इंदौर आ चुके हैं। महाभारत के कृष्ण बने नीतीश भारद्वाज, इस्कान के कई विदेशी, प्रदेश के मुख्यमंत्री, कई केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय कलाकर इस फाग यात्रा में शिरकत करते हैं। लखन दादा के असामयिक निधन के बाद उनके पुत्र एकलव्य सिंह गौड़ और जीवन संगनी लोकप्रिय विधायक श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ ने हिंद रक्षक संगठन की इस फाग यात्रा को और मजबूती के साथ खड़ा किया। महत्वपूर्ण ये है कि इस फाग यात्रा को मूर्त रूप देने के लिए एक माह पूर्व से बैठकें शुरू हो जाती हैं। बाकायदा 15 समितियों का गठन किया जाता है। फाग यात्रा में आर्गेनिक कलर की बजाय आरारोट आटे से बने कलर और शुद्ध टेशू के फूलों को उबालकर पानी वाला रंग उपयोग में लाया जाता है। ये फाग यात्रा गिनीज बुक में भी अपना स्थान बना चुकी है। इस शानदार फाग यात्रा को देखते हुए पूरे फागुन के महीने में इंदौर शहर में जगह-जगह मंदिरों और चौराहों पर राधा कृष्ण फाग महोत्सव शुरू हो चले, जहां पर सूखे गुलाल और फूलों से फाग उत्सव मनाए जाते हैं। आज पूरा इंदौर शहर फाग के रंग में डूबा है। यही लखन दादा की समाज सुधारने की पहल थी और सफल भी रहे। नरसिंह बाजार से निकलने वाली फाग यात्रा में इस वर्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव शिरकत करेंगे.. और इस वर्ष ये यात्रा सुबह 9 बजे बद्रीनाथ मंदिर से शुरू होगी। एक बार जरूर आकार इस शानदार फाग यात्रा का आनंद ले।