स्वतंत्र समय, भोपाल
फॉरेस्ट ( Forest ) विभाग में प्रशासनिक अराजकता चरम पर है। कुछ सप्लायर्स को लाभ पहुंचाने के फेर में आईएफएस अफसरों के एक समूह ने वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव के आदेशों को अमल में लाने नहीं दिया। इस बीच सप्लायर्स सिंडिकेट हाईकोर्ट इंदौर से वन बल प्रमुख के आदेश पर स्थगन आदेश ले आया, जिसमें सभी टेंडर तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के लिए कहा गया है।
फॉरेस्ट ( Forest ) विभाग के कुछ डीएफओ असमंजस में है
वन ( Forest ) बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने पहली बार डीएफओ और सप्लायर्स गठजोड़ पर रोक लगाने और लघु एवं मध्यम कारोबारियों को अवसर देने की मंशा से निविदा की एकजाई शर्ते बनाने एक कमेटी गठित की और सात दिन में ड्राफ्ट देने के निर्देश दिए। इसके बाद टेंडर को निरस्त करने का फार्मूला अफसर ले आए। जिससे वन बल प्रमुख का यह आदेश डीएफओ और सप्लायर्स गठजोड़ के आर्थिक सेहत पर प्रतिकूल असर डाल रहा था। बैतूल, उज्जैन, रीवा, सिवनी, बालाघाट सर्किलों के करीब दो दर्जन डीएफओ ने वन बल प्रमुख के आदेश की नाफरमानी करते हुए बैकडेट में अपने चहेते फर्मों को वर्कऑडर जारी कर दिए तो कुछ डीएफओ असमंजस में है।
टेंडर निरस्त करने अंतरिम रोक
कॉन्ट्रैक्टर की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट खंडपीठ इंदौर में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि कॉन्ट्रैक्ट लेने वालों ने पोल, फेंसिंग की व्यवस्था भी कर ली, लेकिन जब वन मंडल को सूचित कर जंगलों में लगाने गए तो कहा गया कि उनका टेंडर निरस्त कर दिया। कोर्ट ने अंतरिम सुनवाई करते हुए कॉन्ट्रैक्ट निरस्त किए जाने पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने माना कि ऐसा प्रतीत होता है कि कॉन्ट्रैक्ट देने के बाद कॉन्ट्रैक्टर को काम करने का अवसर ही नहीं दिया गया।
डीएफओ के खिलाफ ईओडब्ल्यू में शिकायत
पिछले दिनों वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव बैतूल दौरे के समय भाजपा कार्यकर्ता दिनेश यादव ने फॉरेस्ट अफसरों द्वारा चहेते फर्म और उन्हें भुगतान करने संबंधित गड़बडिय़ों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा था। बताया जाता है कि बैतूल के दो डीएफओ के अलावा मंदसौर डीएफओ की शिकायतें अब ईओडब्ल्यू की जा रही है। यह शिकायत खरीददारी और चहेती फर्म के भुगतान से जुड़ी है। सूत्रों के अनुसार, टेंडर की शर्तों में मांगे गए दस्तावेज जमा किए बिना ही सप्लाई आर्डर दे दिए गए। इसका खुलासा आरटीआई के तहत जब बैतूल के दो डीएफओ से जानकारी मांगी तो उन्होंने लिखित में जवाब दिया कि मांगे गए दस्तावेज उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।