कूनो नेशनल पार्क में प्यासे चीते को पानी पिलाने पर वन विभाग का ड्राइवर सस्पेंड

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो नेशनल पार्क में एक दिल छूने वाली घटना सामने आई है, जहां एक वन विभाग के ड्राइवर ने प्यासे चीतों को पानी पिलाया, लेकिन इसके परिणामस्वरूप उसे नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया। इस घटना ने जहां सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी, वहीं वन विभाग ने इसे नियमों का उल्लंघन मानते हुए कार्यवाही की है।

क्या हुआ था घटनास्थल पर?

सत्यनारायण गुर्जर, जो कूनो नेशनल पार्क में कार्यरत एक ड्राइवर हैं, अपनी ड्यूटी के दौरान जंगल में एक पेड़ के नीचे प्यासे बैठे 5 चीतों को देखा। बिना किसी डर या चिंता के, उन्होंने अपनी जरीकैन से पानी निकालकर चीतों को पानी पिलाया। इस मौके पर उनका सहयोगी वीडियो बना रहा था, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में यह दृश्य दिखाई देता है कि चीतों का परिवार पेड़ की छांव में आराम कर रहा था, और सत्यनारायण गुर्जर उन्हें पानी पिलाने के लिए पास पहुंचते हैं।

सत्यनारायण के कार्य से लोगों ने की तारीफ, लेकिन वन विभाग को था यह गलत

वीडियो वायरल होने के बाद लोग गुर्जर की बहादुरी और संवेदनशीलता की सराहना करने लगे। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने उसकी इस मुहिम को मानवीयता का उदाहरण बताया। हालांकि, वन विभाग ने इसे नियमों का उल्लंघन माना और डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर ने सत्यनारायण गुर्जर को सस्पेंड कर दिया। विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है।

चीता परियोजना के निदेशक का बयान

हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में चीता परियोजना के निदेशक उत्तम कुमार शर्मा ने इस बारे में जानकारी होने से इनकार किया। उनका कहना था कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। कूनो नेशनल पार्क में इस समय 17 चीते घूम रहे हैं, जिनमें से 11 शावक हैं, और 9 चीते बाड़ों में रहते हैं।

क्या है नियमों का उल्लंघन?

वन विभाग का कहना है कि जानवरों के प्राकृतिक व्यवहार में हस्तक्षेप करने से उनके लिए खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विशेषकर जब बात बाघ, तेंदुआ और चीते जैसे जंगली जानवरों की हो, तो उनके पास जाना और उन्हें पानी पिलाना, उनके प्राकृतिक आचरण में हस्तक्षेप कर सकता है। यही वजह है कि सत्यनारायण के इस कार्य को नियमों के खिलाफ माना गया है।

इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या जंगली जानवरों के प्रति संवेदनशीलता और मानवता को नजरअंदाज किया जा सकता है, सिर्फ इसलिए कि यह वन विभाग के नियमों के खिलाफ है? जहां एक ओर सत्यनारायण गुर्जर के इस कार्य ने लोगों का दिल जीता, वहीं दूसरी ओर वन विभाग ने इसे नियमों की अवहेलना मानते हुए सख्त कदम उठाया।

अब यह देखना होगा कि विभागीय जांच के बाद सत्यनारायण गुर्जर के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है, और क्या संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इस फैसले में कोई बदलाव होगा। फिलहाल, यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है और यह सवाल खड़ा करती है कि जंगली जानवरों के साथ हमारे रिश्ते को समझने की जरूरत है।