अफसरों की लापरवाही : Forest guard से होगी 165 करोड़ की वसूली

स्वतंत्र समय, भोपाल

प्रदेश के फॉरेस्ट महकमें में अफसरों की लापरवाही के चलते पहले तो सैलरी में 165 करोड़ रुपए ज्यादा दे दिए और अब 6 हजार 592 वनरक्षकों ( Forest guard ) से इसकी वसूली की जाएगी। यानी हर फॉरेस्ट गार्ड्स को औसतन ढाई लाख रुपए सरकारी खजाने में वापस जमा कराने होंगे।

Forest guard को मूल वेतन 5200 की जगह दे दिए 5680 रुपए

दरअसल, ये स्थिति वनरक्षकों ( Forest guard ) के मूल वेतन (पे बैंड) के गलत आकलन से बनी है। भर्ती नियम के मुताबिक पे बैंड 5200 देना था, लेकिन दिए गए 5680 रुपए। ये गड़बड़ी 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच भर्ती हुए वनरक्षकों की सैलरी में हुई है। जिनसे अब वसूली की जाएगी। वित्त विभाग की कड़ी आपत्ति के बाद वन विभाग ने इसी महीने से वेतन बैंड में सुधार के निर्देश दिए हैं। वसूली के आदेश बाद में जारी किए जाएंगे। इस राशि पर वन विभाग वनरक्षकों से ब्याज भी लेगा।

वनरक्षकों के वेतन की गणना गलत ढंग से की

वर्ष 2006 से पहले वनरक्षकों की भर्ती चतुर्थ श्रेणी में वेतन बैंड 2750, ग्रेड-पे 1800 पर की जाती थी, प्रमोशन पर 3050 वेतन बैंड और 1900 ग्रेड पे दिया जाता था। साल 2006 में प्रदेश में 6 वां वेतनमान लागू किया गया। तब वनरक्षकों का वेतन बैंड 5680 और ग्रेड-पे 1900 कर दिया गया। इसकी मांग पुराने वनरक्षक करते आ रहे हैं। उधर, वित्त विभाग का तर्क है कि वन विभाग ने वनरक्षकों के वेतन की गणना (कैल्कुलेशन) गलत ढंग से किया है। उन्हें वनरक्षक भर्ती नियम के अनुसार 5200 का वेतन बैंड दिया जाना था। जिला कोषालय अधिकारी भी इसी गणना को मानकर बढ़ा हुआ वेतन जारी करते रहे।

प्रस्ताव वित्त विभाग ने लौटाया

वर्ष 2006 से पहले नियुक्त वनरक्षक लंबे समय से 5680 वेतन बैंड और 1900 ग्रेड पे की मांग कर रहे हैं। 8 साल 8 महीने में 6 हजार 592 वनरक्षकों को यह लाभ दिया गया है। इसलिए वन विभाग ने बाकी वनरक्षकों को 5680 वेतन बैंड देने का प्रस्ताव शासन को भेज था। वित्त विभाग के अधिकारियों ने प्रस्ताव का परीक्षण किया, तब पता चला कि वनरक्षक भर्ती नियम में 5200 का वेतन बैंड देने का प्रावधान है। जबकि 5680 वेतन बैंड दिया जा रहा है। इसके बाद वित्त अधिकारियों ने प्रस्ताव लौटाते हुए वनरक्षकों के वेतन बैंड में सुधार करने को कह दिया। वित्त विभाग ने सभी कोष लेखा अधिकारियों को भी वेतन निर्धारण के निर्देश दिए हैं। वन विभाग ने भी सभी मैदानी अधिकारियों को लिख दिया है कि वनरक्षकों का वेतन वित्त विभाग के निर्देशों के अनुसार ही बनाएं।