मिलीभगत कहें या अनदेखी, Forest department की सुस्ती के कारण जंगल हो रहे साफ

स्वतंत्र समय, लटेरी

विदिशा जिले की लटेरी वन विभाग ( Forest department ) के नाकेदार चौकीदार सब कुछ देखते हुए भी अनदेखा कर रहें है। आए दिन कटाई के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। वन माफिया वनों का सफाया करने में लगे हुए है और जिम्मेदार मानो मौन साधना में विलीन होकर देखते हुए अनदेखा कर रहें है। हाल ही में दक्षिण रेंज अंतर्गत आने बाली अगरा बीट में सेंकड़ों सागौन के पेड़ों को धराशाही कर जमीदोष कर दिया गया है सागौन सहित अन्य सभी जंगली पेड़ों की कटाई कर सागौन की लकड़ी बेची जा रही है और कटाई भी सिर्फ इसलिए हो रही है ताकि अतिक्रमणकारी अतिक्रमण कर बन भूमी को खेती में तब्दील कर सकें अगरा बीट में पिछले 6 महीने में सेंकड़ों बीघा भूमि की कटाई कर खेतों में तब्दील कर दिया गया है और नाकेदार चौकीदार सब कुछ देखते हुए भी अनदेखा कर रहें है।

Forest department में कार्रवाई के नाम औपचारिकता

आज तक आगरा बीट में पेड़ो की लगातार कटाई को लेकर कोई कार्यवाही देखने में नही आई है और छोटी मोटी कार्यवाही यदि की भी गई है तो फिर वनो की कटाई पर अंकुश क्यों नही लग रहा है क्यों जंगल जमीन में तब्दील होते जा रहे है वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाकर नाकेदार क्यों अतिक्रमण हटाने की मांग नही कर रहें है कार्यवाही न होने से अतिक्रमण कारी,बन भू माफियाओं,लक्कड़ चोरों के हौसले बुलंद होते जा रहे है और बन विभाग में अगरा बीट में बने हालात से स्पष्ट है की बन कर्मचारियों अधिकारियों के हाथ किसी न किसी बंधन में बंधे हुए है जिससे कार्यवाही नही हो पा रही है। अवैध बन भूमि कब्जे को लेकर आए दिन बनते है बिबाद: पहले पेड़ों की कटाई फिर बन भूमि पर कब्जा और फिर कब्जे के बाद आपसी बिबाद आम बात हो गई है बन भूमि के नाजीदिकी गांवों में अतिक्रमणकारियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बन भूमि को लेकर आए दिन विवाद होते ही रहते है बीते कुछ दिन पहले जंगल की लड़ाई लटेरी नगर में देखने में भी आई थी दिन दहाड़े अतिक्रमण के बिबाद को लेकर ग्रामीण लोग लटेरी थाने के सामने ही आपस में भिड़ गए थे और नगर में अफरा तफरी का माहोल बन गया था

सहाब अब नही बची चरनोई भूमि

दर दर भटकती मबेसी की दुर्दशा का एक बड़ा कारण भी अतिक्रमण ही है जिसके चलते अब धीरे धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में चरनोई के नाम की भूमि भी अब अतिक्रमण कारियो के कब्जे में है चरनोई की भूमि खत्म होने से ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने वाले लबारिश मवेशी अब नगरीय बाजारों में रोड़ों पर यहां वहां बैठे मिलते है और दुर्घटना के शिकार हो जाते है फिर उन मवेशियों पर राजनीति की जाती है ओर राजनेतिक लोग मबेसियो की आड में अपनी राजनेतिक रोटियां सेकने में लग जाते है लेकिन बही राजनीति आज लटेरी बन क्षेत्र में हो रहे लगातार अतिक्रमण,पेड़ों की कटाई पर कार्यवाही करवाने में पीछे है।
यदि नही रहे बन तो आगामी समय में पर्यावरण पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव:-
बनो की लगातार कटाई पर आवाज न उठाना और चुप चाप मौन रहकर देखते रहना एक दिन जनता के लिए भी परेशानी का शबब बन सकता है लटेरी से खत्म होती जा रही बन संपदा के लिए जनता भी जिम्मेदार है बनो की बढ़ती कटाई को रोकने के लिए आज यदि जनता ने आवाज नही उठाई और यूंही मौन रहकर देखते रहे तो बह समय अब दूर नहीं है जब बड़े बड़े शहरों की तरह लटेरी में भी बारिश न होना,तेज गर्मी, बेमौसम बारिश,प्रदूषित बायु जेसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है समय रहते जनता जागरूक हो और बड़ते अतिक्रमण और कटाई पर रोक लगाने में भूमिका निभाए तो भी बचे हुए जंगलों को बचाया जा सकता है।