Delhi News : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का बुधवार को 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह देश के जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ताओं में से एक थे और हाल ही में सांसद बनीं बांसुरी स्वराज के पिता थे। दिल्ली बीजेपी ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए इसे देश के लिए एक बड़ी क्षति बताया है।
स्वराज कौशल एक कुशल प्रशासक और कानून के ज्ञाता के रूप में जाने जाते थे। सार्वजनिक जीवन में उनकी छवि बेहद ईमानदार और प्रखर शख्सियत की थी। बीजेपी के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार आज शाम 4:30 बजे दिल्ली के लोधी रोड श्मशान घाट पर किया गया। उनके निधन से राजनीति और कानून के क्षेत्र में एक शून्य पैदा हो गया है।
मिजोरम शांति समझौते के नायक
स्वराज कौशल को सिर्फ उनके पदों के लिए ही नहीं, बल्कि उनके ऐतिहासिक कार्यों के लिए याद किया जाता है। पूर्वोत्तर भारत, विशेषकर मिजोरम में शांति स्थापित करने में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है। उन्हें 1986 के मिजो शांति समझौते का मुख्य वास्तुकार माना जाता है।
जब मिजोरम में उग्रवाद चरम पर था, तब उन्होंने मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के नेता लालडेंगा के साथ बातचीत की कमान संभाली थी। उनकी सूझबूझ और अथक प्रयासों से दशकों पुराना सशस्त्र संघर्ष समाप्त हुआ और मिजोरम में शांति का एक नया अध्याय शुरू हुआ।
सबसे युवा राज्यपाल का रिकॉर्ड
स्वराज कौशल ने बहुत कम उम्र में ही राजनीतिक ऊंचाइयों को छू लिया था। साल 1990 में जब उन्हें मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया गया, तब उनकी उम्र महज 37 साल थी। इसके साथ ही वे भारतीय इतिहास में सबसे कम उम्र में राज्यपाल बनने वाले व्यक्ति बन गए। वह 1990 से 1993 तक इस पद पर रहे। इसके अलावा, वह 1998 से 2004 तक हरियाणा से राज्यसभा के सदस्य भी चुने गए। एक वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण मामलों की पैरवी की।
इमरजेंसी में शुरू हुई थी प्रेम कहानी
स्वराज कौशल और सुषमा स्वराज की प्रेम कहानी दो अलग-अलग विचारधाराओं के मिलन की मिसाल थी। सुषमा जी जहां जनसंघ की राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ी थीं, वहीं स्वराज कौशल समाजवादी पृष्ठभूमि से आते थे। दोनों की पहली मुलाकात 1975 में आपातकाल के दौरान हुई थी।
उस समय दोनों युवा वकील थे और जॉर्ज फर्नांडिस की कानूनी रक्षा टीम का हिस्सा थे। कोर्ट रूम में एक केस पर काम करते-करते दोनों एक-दूसरे के करीब आए। वैचारिक मतभेदों और पारिवारिक आपत्तियों को दरकिनार कर उन्होंने 13 जुलाई, 1975 को शादी कर ली। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने खुद उनके विवाह पर उन्हें आशीर्वाद दिया था। सुषमा स्वराज अक्सर अपनी सफलता का श्रेय अपने पति स्वराज कौशल को देती थीं।