पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ का निधन, रविवार को ली अंतिम सांस

परवेज़ मुशर्रफ़ का हुआ निधन, रविवार को ली उन्होंने अपनी अंतिम सांसे,पाकिस्तान छोड़ भाग गए थे दुबई, 18अप्रैल 2005 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिले थे |

युद्ध हार जाने के बावजूद भी पाकिस्तान सरकार ने किया था सम्मानित. 21 साल की उम्र में पाकिस्तान आर्मी जॉइन करने वाले पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ का आज निधन हो गया है. 79 साल के मुशर्रफ लंबे समय से अमाइलॉइडोसिस नामक बीमारी से जूझ रहे थे। दुबई के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। परवेज़ मुशर्रफ़ 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।

2 मई 2016 में पाकिस्तान की कोर्ट में राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ को देशद्रोह के आरोप सामना कर रहे थे, जिसके बाद परवेज मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित किया गया था, फिर उन्होंने दुबई में पनाह ली थी ।

बताया जाता है की मुशर्रफ कई महीनो से अस्पताल में एडमिट थे. यह जानकारी उनके परिवार ने ट्विटर पर दी थी. उनके परिवार ने जानकारी देते बताया की वे अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से ग्रसित थे. जिसकी वजह से उनके सभी अंगो ने काम करना बंद कर दिया था, अब रिकोवेरी की भी कोई गुंजाईश नही बची थी.

क्या है अमाइलॉइडोसिस बीमारी है.

अमाइलॉइडोसिस में इंसान के शरीर में अमाइलॉइड नाम का असामान्य प्रोटीन बनने लगता है। यह दिल, किडनी, लिवर, नर्वस सिस्टम, दिमाग आदि अंगों में जमा होने लगता है, जिस वजह से इन अंगों के टिशूज ठीक से काम नहीं कर पाते।

कोन है परवेज मुशर्रफ आईए जानते है,

मुशर्रफ़ का जन्म अगस्त 11, 1943 दिल्ली शहर में दरियागंज में हुआ था। भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार कराची में जाकर बसा। कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 21 साल की उम्र परवेज़ मुशर्रफ़ ने बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी जॉइन कर ली थी। परवेज़ मुशर्रफ़ ने 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ जंग लड़ी थी । ये युद्ध पाकिस्तान हार गया। युद्ध हार जाने के बावजूद, बहादुरी से लड़ने के लिए पाकिस्तान सरकार की तरफ से परवेज मुशर्रफ को मेडल दिया गया।

1971 के युद्ध में भी मुशर्रफ़ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । जिसे देखते हुए सरकार ने उन्हें कई बार प्रमोट किया। 1998 में परवेज मुशर्रफ़ जनरल बने। उन्होंने भारत के खिलाफ कारगिल की साजिश रची। लेकिन वह बुरी तरह से असफल रहे। अपनी जीवनी ‘इन द लाइन ऑफ फायर-अ मेमॉयर’ में जनरल मुशर्रफ ने लिखा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी। लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए।

अटल बिहारी वाजपयी से मिलना चाहते थे मुशर्रफ,

बताया जाता है की परवेज़ मुशर्रफ़ ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने के लिए अपने काफिला रुकवा दिया था, यह मुलाकात 18 अप्रैल 2005 को हुई. जब मुशर्रफ़ पाकिस्तान वापस लोट रहे थे तब उन्होंने अपना काफिला पालम हवाई अड्डे 6 कृष्ण मेनन मार्ग पर रुकवाया दिया था ताकि वह अटल बिहारी वाजपेयी से मिल पाए और बह उनसे मिले भी और उनसे मिलते हुआ कहा की ‘सर, अगर आप प्रधानमंत्री होते तो आज दोनों देशों के बीच के रिश्ते कुछ और होते।

18 मार्च 2016 की सुबह छोड़ दिया था पाकिस्तान
3 नवंबर 2007 की इमरजेंसी और फिर मार्शल लॉ की घोषणा के मामले में 2013 में मुशर्रफ़ पर देशद्रोह का केस चलाया गया, जिसके बाद सरकार ने अप्रैल 2013 में उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर रोक लगा दिया था। हालांकि परवेज़ मुशर्रफ़ ने 18 मार्च 2016 की सुबह पाकिस्तान छोड़ दिया और उन्होंने अपने देश छोड़ने की वजह खराब सेहत बताई थी।