रिश्वत लेने के आरोप में डाक घर के उप संभागीय निरीक्षक को चार वर्ष का सश्रम कारावास

स्वतंत्र समय, सागर

पोस्टमेन का वेतन निकालने की ऐवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी अंकित द्विवेदी उप संभागीय निरीक्षक प्रधान डाकघर को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा. 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) के अंतर्गत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक अभियोजन धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।

लोक अभियोजन से प्राप्त जानकारी के अनुसार 09 जुलाई 2018 को आवेदक मयंक सिंह ठाकुर ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक आवेदन इस आशय का दिया कि उसका माह अप्रैल, मई, जून 2018 के वेतन का भुगतान होना है, वेतन निकलवाने के लिए अभियुक्त अंकित द्विवेदी द्वारा उससे 5,000 रु. रिश्वत राशि की मांग की जा रही है, वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहताए बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। उक्त आवेदन पर कार्यवाही हेतु तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विपु. स्था.सागर ने उप पुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मांग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियां की गई एवं टे्रप कार्यवाही आयोजित की गई।

नियत दिनांक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को रिश्वत राशि देने के उपरांत आवेदक का इशारा मिलने पर टे्रप दल के सदस्य अभियुक्त अंकित द्विवेदी के किराये के मकान के अंन्दर पहुंचे और उससे रिश्वत राशि के संबंध में पूछा तो उसने आवेदक के द्वारा दी गई रिश्वत राशि अपने हाथ में लेकर पहने हुए लोवर की बायीं जेब में रख लेना बताया तत्पश्चात् अग्रिम कार्यवाही प्रारम्भ की गई। उक्त आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया। अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उक्त सजा से दंडित किया है।