लोकोत्सव का चौथा दिन: बांस, पीतल और संगमरमर की अद्वितीय कलाकृतियों ने मोहा लोगों का मन

इंदौर के लालबाग़ पैलेस में 25 से सजा कला और संस्कृति का मंच ‘लोकोत्सव 2024’ लोगों को खूब लुभा रहा है। अनंत जीवन सेवा एवं शोध समिति द्वारा आयोजित यह लोकोत्सव 2024 के चौथे दिन ने शिल्पकला के प्रेमियों को एक ऐसा अनुभव दिया, जिसे वे जीवनपर्यंत याद रखेंगे। मेले में प्रदर्शित बांस, पीतल और संगमरमर से बनी विशेष कलाकृतियों ने दर्शकों को न केवल अपनी सुंदरता से आकर्षित किया, बल्कि उनके निर्माण में उपयोग की गई पारंपरिक तकनीकों और शिल्पकारों की निपुणता को भी उजागर किया। इसी के साथ ही मालवी संगीतकारों द्वारा प्रस्तुतियां एवं फोक डांस के कई सारे फॉर्म्स इस महोत्सव में दिखाई दिए।

बांस की कलाकृतियाँ: प्रकृति से पहचान बांस से बने उत्पादों ने अपनी सरलता और टिकाऊपन के साथ हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित किया।

झूले और फर्नीचर: स्थानीय शिल्पकारों ने पर्यावरण-संवेदनशीलता और आधुनिक डिज़ाइन का अनूठा संगम पेश किया। बांस से बने हैंगिंग चेयर और टेबल सेट सबसे अधिक चर्चा में रहे।

दीवार सजावट: बारीक कटाई और नक्काशी वाले बांस के वॉल आर्ट पीस ने पारंपरिक और समकालीन डिज़ाइन प्रेमियों का ध्यान खींचा।

म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स: बांसुरी, तम्बूरा जैसे अन्य वाद्य यंत्र, जो न केवल सजावटी हैं, बल्कि बजाने में भी उपयोगी हैं, संगीत प्रेमियों के बीच काफी चर्चा में रहे।

पीतल की कारीगरी: पीतल से बनी कलाकृतियों ने अपने भव्य रूप और शानदार नक्काशी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

धार्मिक मूर्तियाँ: गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती जैसी देवताओं की मूर्तियाँ, जिन पर बारीक नक्काशी की गई थी, विशेष रूप से मांग में रहीं।

घंटियाँ और दीपक: पारंपरिक पीतल के घंटे और सजावटी दीपक, जिनमें भारतीय संस्कृति की गहराई झलकती है, लोगों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रहे।

सजावटी शोपीस: आधुनिक डिज़ाइनों वाले छोटे शोपीस, जैसे पशु और जानवरों की आकृतियाँ और पेपरवेट, ने युवा दर्शकों को लुभाया।

संगमरमर की कला: नक्काशी का जादू संगमरमर से बनी कृतियाँ अपनी सफेदी और नाजुक शिल्प कौशल के कारण सबसे अलग नजर आईं।

मूर्ति कला: संगमरमर की बुद्ध, महावीर और राधा-कृष्ण की मूर्तियाँ, जो ध्यान और शांति का प्रतीक हैं, खास आकर्षण का केंद्र रहीं।

घर सजावट के सामान: संगमरमर के पॉट, फूलदान, और वॉल पैनल्स ने अपनी बारीक डिज़ाइन और चमक से दर्शकों को आकर्षित किया।

ताजमहल की प्रतिकृतियाँ: संगमरमर से बनाई गई लघु ताजमहल की प्रतिकृतियाँ, जो भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्टता का प्रतीक हैं, लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहीं।

शिल्पकारों की कहानियाँ: इन कलाकृतियों के पीछे छिपी शिल्पकारों की कहानियाँ भी दर्शकों के लिए बेहद प्रेरणादायक रहीं। बांस के उत्पादों को बनाने वाले आदिवासी शिल्पकारों ने बताया कि कैसे उनकी कला पीढ़ियों से उनके परिवार का हिस्सा रही है। वहीं, पीतल और संगमरमर की कृतियों के निर्माता पारंपरिक तकनीकों के साथ आधुनिक डिज़ाइनों एक साथ लाकर अपनी कला को और भी बेहतर और जीवंत बना रहे हैं।

दर्शकों ने इन कलाकृतियों की सराहना करते हुए कहा, “यह केवल कला नहीं है, यह भारत की समृद्ध संस्कृति और शिल्प कौशल का प्रतिबिंब है।”

लोकोत्सव 2024 के आयोजक अनंत जीवन सेवा एवं शोध समिति, इंदौर की ओर से ज्योति कुमरावत एवं जय कुमरावत ने कहा, “अनंत जीवन सेवा एवं शोध समिति इस खास महोत्सव में सभी मेहमानों का स्वागत करता है और इंदौर शहर का आभार व्यक्त करता है कि वे लोकोत्सव 2024 को इतना प्रेम दे रहे हैं। लालबाग पैलेस में आयोजित इस कार्यक्रम भारत के विभिन्न राज्यों के प्रसिद्ध शिल्पकारों, कलाकारों और व्यंजनों को एक मंच पर लेकर आया है। 25 से 31 दिसंबर 2024 तक प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से रात 10 बजे तक कलाप्रेमियों को इसी तरह लुभाएगा। लोकोत्सव के अगले दो दिन भी शिल्पकला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भरपूर रहने वाले हैं। यह उत्सव न केवल भारतीय शिल्पकारों को प्रोत्साहन देने का माध्यम है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक प्रभावी साधन भी है।”