स्वतंत्र समय, भोपाल
16वां वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढिया ने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही फ्री बीज ( free beez ) स्कीम को लेकर आयोग ने अभी तक कोई अनुशंसा तय नहीं की है। इसको लेकर आयोग के सभी पांचों सदस्य आपस में बैठक कर तय करेंगे और उसके बाद कोई फैसला लेंगे। आयोग के अध्यक्ष ने गुरुवार को राज्य सरकार के साथ बैठक के बाद पत्रकारों के सवालों के जबाव दिए।
free beez पर कुछ कहने से किया मना
फ्री बीज ( free beez ) को लेकर किए गए सवाल पर पहले तो उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का बताकर कुछ कहने से मना कर दिया लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि अधिकांश राज्य सरकारें फ्री-बीच स्कीम को बढ़ावा दे रही हैं तो क्या ऐसे मामलों में आयोग अपनी सिफारिश देगा। कुशाभाऊ कन्वेंशन सेंटर में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, दोनों डिप्टी सीएम, मंत्री और आला अधिकारियों ने आगामी पांच साल की कार्ययोजना पर बातचीत की। इसमें सामने आया कि मप्र सरकार आदिवासी विकास पर और भविष्य में इकोनॉमिक डेवलपमेंट पर फोकस करने वाली है। राज्य सरकार अपने टैक्स से खुद के लिए आत्मनिर्भर बना सके इस पर भी बात हुई। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग ने एमपी के 2047 के रोडमैप को सराहा है।
भविष्य में इकोनॉमिक डेवलपमेंट पर फोकस
पनगढिय़ा ने कहा कि एमपी 20 वां राज्य है जहां आयोग ने विजिट कर सुझाव लिए हैं। ग्रांट को लेकर कई मामलों में सुझाव आए हैं, राज्य सरकार से कई प्रस्ताव मिले हैं। यहां इसको लेकर काफी मजबूत प्रजेंटेशन आए, जिसमें पता चला कि 15 सालों में कृषि और अन्य सेक्टर में एमपी ने कैसे छलांग लगाई है। भविष्य का रोड मैप तैयार किया गया है, जिसमें इकॉनामी डेवलपमेंट पर फोकस है। विकसित मप्र के लिए हाल में हुई जीआईएस से एमपी में इंडस्ट्रियल सेक्टर में बढ़ावा आना तय है। वर्टिकल डिवोल्यूशन को लेकर एमपी सरकार ने रिकमंडेशन दी है, इसे आयोग ने देखा है। एमपी में सेस और सरचार्ज 10 प्रतिशत रखे गए हैं।
केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मप्र एक बड़ा राज्य है, इसलिए इसकी जरूरतें भी बड़ी हैं। सबके कल्याण के जरिए एक समतामूलक समाज और लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना ही केन्द्र और राज्य सरकारों का एक लक्ष्य है। केन्द्र और राज्यों के बेहतर तालमेल और आपसी सामंजस्य से ही यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए केन्द्रीय करों और राजस्व प्राप्तियों में राज्यों की हिस्सेदारी अर्थात् अनुदान बढ़ाया ही जाना चाहिए। राज्य अपनी क्षमता और सीमित संसाधनों से ही अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए पूरी शिद्दत से काम करते हैं। केन्द्र सरकार से अधिक वित्तीय अनुदान मिलने से राज्य अपने दीर्घकालीन लक्ष्यों को अल्पकाल में ही प्राप्त कर सकेंगे।
केंद्र सरकार से अनुदान की आवश्यकता है
सीएम डॉ. यादव गुरुवार को 16वें केन्द्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राज्य के दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता का जिक्र कर वित्त आयोग से प्रदेश की अपेक्षाओं को भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मप्र देश का सर्वाधिक प्रगतिशील राज्य है। प्रदेश कृषि, अधोसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, वन, पर्यटन, नगरीय विकास और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इन क्षेत्रों में और अधिक विकास के लिए केन्द्र सरकार से मजबूत वित्तीय सहयोग, अनुदान की आवश्यकता है। अगले पांच सालों में हम इस बजट को बढ़ाकर दोगुना कर देंगे। उन्होंने कहा-मप्र नदियों का मायका है और इसीलिए हम नदियों को जोडक़र जल बंटवारे के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना में हमने राजस्थान के साथ मिलकर काम किया।