इंदौर में शुरू हुआ ‘फ्री फ्रॉम डायबिटीज और मोटापा’ अभियान, स्वास्थ्य क्रांति की नई पहल

इंदौर शहर ने एक और बड़ी सामाजिक पहल की शुरुआत करते हुए डायबिटीज और मोटापे के खिलाफ एक विशेष स्वास्थ्य अभियान की नींव रखी है। हेल्थ फॉर भारत फाउंडेशन के मार्गदर्शन में शुरू किए गए इस ऐतिहासिक जनसहभागिता अभियान का उद्देश्य है, इंदौर को इन दो गंभीर बीमारियों से मुक्त करना और एक स्वस्थ समाज की स्थापना करना।

अब सिर्फ वजन नहीं, शरीर के अंदर तक होगी जांच

इस बार की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग केवल ब्लड टेस्ट तक सीमित नहीं है। एक अत्याधुनिक विशेष मशीन के माध्यम से शरीर के अंदरूनी अंगों में जमा वसा (फैट) की गहराई से जांच की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि कई बार दुबले-पतले व्यक्ति भी गंभीर डायबिटीज से पीड़ित हो सकते हैं। इसलिए, यह अभियान सभी आयु वर्ग और शारीरिक संरचना वाले व्यक्तियों के लिए अत्यंत आवश्यक और लाभकारी है।

सांसद शंकर लालवानी की अगुवाई में सामाजिक नेतृत्व एकजुट

इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने इस अभियान को पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि, “इंदौर पहले ही 4 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग कर चुका है और एक वैश्विक कीर्तिमान स्थापित कर चुका है। अब समय आ गया है कि हम और भी वैज्ञानिक तथा गहराई से इस लड़ाई को लड़ें। यह सिर्फ स्वास्थ्य का विषय नहीं है, बल्कि भारत के भविष्य की रक्षा का अभियान है।”

सांसद ने इस पहल की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए फिट इंडिया मूवमेंट से की और कहा कि इंदौर अब “फ्री फ्रॉम डायबिटीज एंड ओबेसिटी” अभियान का राष्ट्रीय नेतृत्व करेगा।

विशेषज्ञों की चेतावनी: अनदेखी की तो बढ़ेगा गंभीर खतरा

बैठक में उपस्थित प्रसिद्ध डॉक्टरों ने इस अभियान की वैज्ञानिक महत्ता को समझाया। डॉ. अरुण अग्रवाल ने कहा कि, “डायबिटीज और मोटापा न केवल बीमारी हैं, बल्कि ये कैंसर, हार्ट अटैक जैसी जानलेवा समस्याओं का प्रवेश द्वार बन सकते हैं। यदि समय रहते इन पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो भविष्य में स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।”

वहीं, डॉ. विनीता कोठारी ने प्री-डायबिटिक स्टेज पर ही स्वास्थ्य सुधार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा,
“हमें स्वास्थ्य संकेतकों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। सही समय पर हस्तक्षेप कर हम अगली पीढ़ी को जीवनभर की बीमारियों से बचा सकते हैं। हमारा उद्देश्य डायबिटीज से पहले की अवस्था में ही लोगों को जागरूक और स्वस्थ बनाना है।”

 हर घर तक पहुंचेगी स्वास्थ्य जागरूकता

इस मुहिम को जन-आंदोलन का रूप देने के लिए कार्यक्रम समन्वयक गोपाल गोयल ने बताया कि यह अभियान केवल सरकार या डॉक्टरों का काम नहीं है, बल्कि पूरे समाज का सामूहिक उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा, “इंदौर की जनता पहले भी कई सामाजिक अभियानों में एकजुट होकर मिसाल पेश कर चुकी है। अब समय है कि हम सब मिलकर इस स्वास्थ्य आपदा को रोकें।”

हर गली, हर मोहल्ले तक पहुंचेगा संदेश

इस विशेष बैठक में शहर के प्रमुख समाजों और प्रबुद्धजनों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। यादव समाज, बंजारा समाज, अग्रवाल समाज, वाल्मीकि समाज, राजपूत समाज, गुजराती समाज, ब्राह्मण समाज सहित अनेक सामाजिक प्रतिनिधियों ने एक स्वर में संकल्प लिया कि वे इस अभियान को हर गली, मोहल्ले और घर तक पहुंचाएंगे। यह बैठक केवल संवाद का माध्यम नहीं थी, बल्कि एकजुटता, जागरूकता और बदलाव का स्पष्ट संकेत थी।