स्वतंत्रता दिवस का दिन इंदौर सेंट्रल जेल के कैदियों के लिए एक नई सुबह लेकर आया। यहां के सेंट्रल जेल से 10 कैदियों को रिहा किया गया। यह कैदी थे जो जीवन के किसी क्षण में अपराध को अंजाम देकर जेल पहुंच गए थे। लेकिन जब वे यहां आए तो उन्हें अपने द्वारा किए गए अपराध का बोध हुआ। जिसका नतीजा यह हुआ कि उन्होने अपने जीवन को एक बार फिर से बदलने का निर्णय लिया। यह वह कैदी थे जिन्होने सजा को अपने जीवन में पश्चाताप के रूप में माना और जेल में रह कर अपने कार्यो और व्यवहार से अपने अपराध का पश्चाताप किया।
6 वर्ष की सजा हुई माफ
शासन के द्वारा इन कैदियों का अच्छा आचरण देखते हुए 6 वर्ष की सजा माफ की गई है। जिसमें एक महिला बंदी भी शामिल है। पूरे साल में पांच बार कैदियों को उनके आचरण को देख कर सजा माफी दे कर रिहा किया जाता है। जिसमें 15 अगस्त, 26 जनवरी, गांधी जयंती, अंबेडकर जयंती और जनजाति दिवस पर कैदियों को रिहाई दी जाती है। इन दिनों का कैदी भी इंतजार करते है कि वह भी अपनी सजा से मुक्त हो जाए।
स्वरोजगार के लिए किया जाता है प्रशिक्षित
कैदियों को रिहा करने से पहले जहां जेल प्रबंधन इस बात का प्रयास करता है कि जिन कैदियों को रिहा किया जा रहा है वह अपराधिक प्रवृत्ति से दूर हो चुके है। इसके साथ ही कैदियों को जेल में स्वरोजगार के उद्देश्य से प्रशिक्षण दिया जाता है कि वह जेल से मुक्त होने पर स्वयं का व्यापार शुरू कर सके जिससे उनको जीवनयापन करने में कोई परेशानी ना आए। इसके साथ ही वह समाज में फिर से हिल-मिल जाए इस बात का प्रयास भी जेल प्रबंधन करता है।
स्वतंत्रता दिवस होता है इनके लिए विशेष दिन
स्वतंत्रता दिवस के दिन जब कैदियों को जेल से रिहाई मिलती है तो यह दिन इन कैदियों के लिए दूगना खास होता है। यह वह कैदी होते है जो जेल में रह कर इस बात का महत्व अच्छे से समझ जाते है कि स्वतंत्रता कितनी महत्वपूर्ण होती है। हम अपने देश में स्वतंत्र हो कर जीवन यापन करते है तो हमें देश के लिए अपने कार्यो से किस तरह देश को विकास की ओर अग्रसर करना चाहिए ना कि अपनी स्वतंत्रता का गलत फायदा उठाना चाहिए। यह एक अदभूत क्षण होता है जब वह आजादी के मायने समझ चुके होते है।