गूगल से वैश्विक सफलता तक, प्रो पंजा लीग में शेर-ए-लुधियाना के साथ आए हरीश कुमार

भारत के सबसे सम्मानित पैरा आर्म रेसलरों में से एक, वर्मा हरीश कुमार, प्रो पंजा लीग के सीज़न 2 में शेर-ए-लुधियाना के साथ एक बार फिर सुर्खियों में लौट आए हैं। अब तक खेले गए दोनों मुकाबलों में जीत दर्ज कर उन्होंने अपने नाम को सार्थक किया है, जिसका मतलब ही है “शेर जैसा”। गुजरात के रहने वाले हरीश ने अपनी शुरुआत महज़ 17 साल की उम्र में 2000 के शुरुआती दौर में की थी, जब भारत में आर्म रेसलिंग को खेलों की दुनिया में ज़्यादा पहचान नहीं थी। न कोई औपचारिक कोच, न ही कोई सिस्टम, ऐसे में उन्होंने मार्गदर्शन के लिए इंटरनेट का सहारा लिया और मज़ाक में कहते हैं कि उनके पहले मेंटर “गूगल और कड़ी मेहनत” थे। परिवार और समुदाय के अटूट सहयोग से उन्होंने उस सपने को पाला, जिसने आज उन्हें वैश्विक मंच पर पहुँचा दिया है।

2015 में अपने पहले ही वर्ल्ड चैंपियनशिप (सीओसी पैरा कैटेगरी) में एक सिल्वर और एक गोल्ड मेडल जीतने से लेकर वर्ल्ड और एशियन चैंपियन बनने तक, हरीश कुमार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद से उन्होंने 8 नेशनल चैंपियनशिप अपने नाम की हैं। वर्तमान में वे अहमदाबाद नगर निगम में कार्यरत हैं और देश के सबसे सम्मानित पैरा-एथलीट्स में गिने जाते हैं और निस्संदेह, वे शेर-ए-लुधियाना की शान हैं।

अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए हरीश ने साझा किया कि टीम के लिए चुना जाना न केवल उनके करियर में, बल्कि पूरे भारत के कई खिलाड़ियों के लिए भी एक टर्निंग पॉइंट रहा है। उन्होंने कहा, “शेर-ए-लुधियाना ने हमें एक राष्ट्रीय मंच दिया है, जहाँ हम अपनी ताकत, अपनी तकनीक और सबसे अहम, अपनी कहानियाँ सबके सामने रख पा रहे हैं। इस अवसर के लिए हम टीम के मालिकों के आभारी हैं, जिन्होंने हमें आगे बढ़ने का मौका दिया।” उन्होंने शेर-ए-लुधियाना के हेड कोच यरकिन अलीमज़ानोव को भी श्रेय दिया, जो आर्म रेसलिंग सर्किट में विश्व स्तर पर सम्मानित नाम हैं और कज़ाख़स्तान की दिग्गज आर्म रेसलिंग टीम का नेतृत्व करते हैं। उनके मार्गदर्शन में सीखने से टीम के खेल के प्रति दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आया है।

हेड कोच ने खुद हरीश की अनोखी शैली और दृढ़ संकल्प की सराहना करते हुए कहा, “हरीश के पास वर्ल्ड-क्लास तकनीक है और उनका अनुशासन सबसे बेहतरीन में से एक है, जो मैंने देखा है। वे सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक रोल मॉडल हैं। शेर-ए-लुधियाना को उन पर गर्व है।”

प्रो पंजा लीग के फाउंडर, प्रवीण दबास, इस मज़बूत प्लेटफार्म को बनाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। हरीश ने इस अवसर के लिए आभार जताते हुए कहा, “प्रवीण सर ने जो किया है, वह काबिले-तारीफ़ है। उन्होंने एक ऐसी लीग बनाई है जहाँ मेरे जैसे खिलाड़ियों को देखा जाता है, सुना जाता है और सम्मानित किया जाता है। मेरा लक्ष्य बिल्कुल सरल है, अपने खेल को और बेहतर बनाना, पूरी मेहनत लगाना और अपनी टीम को गौरवान्वित करना।”

आगे की ओर देखते हुए हरीश भविष्य को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि प्रो पंजा लीग जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाएगी, और जब ऐसा होगा तब यह दुनियाभर में खेल और खिलाड़ियों दोनों के लिए एक चमत्कार लेकर आएगी। शेर-ए-लुधियाना अब सिर्फ एक टीम नहीं रह गई है; यह एक परिवार बन चुका है। और यह परिवार एक-दूसरे को महानता की ओर बढ़ाने तथा अपने फैंस को गर्व महसूस कराने के लिए पूरी तरह समर्पित है।”

अपनी दिव्यांगता से नहीं, बल्कि अपने अटूट संकल्प से परिभाषित होते हुए, हरीश ने उत्कृष्टता की राह बनाई है। उनका पैरा-एथलीट के रूप में सफर सीमाओं का नहीं, बल्कि जीत का है। यह इस बात का सच्चा प्रमाण है कि जुनून और धैर्य किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।