ब्रांड नाम और लेबल में ORS शब्द का गलत तरीके से उपयोग कर उपभोक्ताओं को भ्रमित करने वाली कंपनियों पर अब कार्रवाई तय है। इस संबंध में FSSAI ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के फूड सेफ्टी कमिश्नरों को आदेश भेजकर निर्देश दिया है कि ऐसे सभी इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स और नकली ORS उत्पादों को तुरंत बाजार से हटाया जाए। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि कई कंपनियाँ उत्पाद के नाम पर ORS का उपयोग कर लोगों को यह विश्वास दिला रही थीं कि वे मेडिकल-ग्रेड ओआरएस खरीद रहे हैं, जबकि वे केवल फ्लेवर्ड इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स होते हैं।
चीन का तैरता रिसर्च आइलैंड
चीन समुद्र में तैनात होने वाला एक अनोखा तैरता प्लेटफॉर्म तैयार कर रहा है, जो चार महीने तक बिना किसी बाहरी सप्लाई के खुद काम कर सकता है। यह क्षमता कई आधुनिक न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर्स से भी अधिक मानी जा रही है।
इसका नाम Deep-Sea All-Weather Resident Floating Research Facility रखा गया है और इसे राष्ट्रीय वैज्ञानिक परियोजना का हिस्सा बनाया गया है। इसके डिजाइन पर शंघाई जिओटोंग यूनिवर्सिटी और चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन मिलकर काम कर रहे हैं। इसे 2028 में समुद्र में उतारने की योजना है।
क्यों जरूरी है परमाणु धमाके से सुरक्षा?
इस तैरते प्लेटफॉर्म को हर मौसम और स्थितियों में समुद्र में लंबे समय तक रहने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसमें ऊर्जा उत्पादन, संचार और नेविगेशन जैसे महत्वपूर्ण नियंत्रण क्षेत्र मौजूद होंगे। इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे इस तरह डिजाइन किया है कि यह न्यूक्लियर ब्लास्ट के प्रभाव को भी झेल सके, जिससे अंदर मौजूद सिस्टम सुरक्षित रहें।
प्लेटफॉर्म का आकार और मजबूती
यह अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म 138 मीटर लंबा और 85 मीटर चौड़ा होगा। समुद्र की सतह से इसका मुख्य डेक 45 मीटर ऊपर रहेगा। इसका ट्विन-हुल स्ट्रक्चर इसे बेहद तूफानी परिस्थितियों में भी स्थिर बनाए रखता है।
यह 69 मीटर तक ऊँची लहरों को सहने में सक्षम होगा और 15 नॉट्स की गति से समुद्र में चल सकेगा। इतना ही नहीं, यह कैटेगरी 17 के भयंकर टाइफून तक झेल सकता है।
नया मेटामटेरियल देगा न्यूक्लियर ब्लास्ट से सुरक्षा
परमाणु धमाकों से सुरक्षा आमतौर पर भारी स्टील प्लेटों से मिलती है, लेकिन यह प्लेटफॉर्म हल्का होना चाहिए था। इसलिए वैज्ञानिकों ने एक नया समाधान निकाला, एक सैंडविच बल्खेड स्ट्रक्चर, जिसमें सूक्ष्म धातु ट्यूब्स की परतें शामिल हैं।
यह डिजाइन तेज झटके को नियंत्रित और धीमे दबाव में बदल देता है, जिससे संरचना को नुकसान नहीं पहुंचता। टेस्ट में 60 मिमी मोटा यह पैनल 177 किलोपास्कल तक के धमाके को सह गया। इससे झटके का प्रभाव 58% कम और संरचना पर तनाव 14% कम हो गया।
संभावित सैन्य उपयोग
हालाँकि इसे वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए बताया जा रहा है, लेकिन इसके डिजाइन में सैन्य न्यूक्लियर सुरक्षा मानकों का इस्तेमाल हुआ है। इससे संकेत मिलते हैं कि यह प्लेटफॉर्म नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए तैयार किया जा रहा है।
इसे दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों में भेजा जा सकता है, जहाँ यह कमांड सेंटर, निगरानी स्टेशन और लॉजिस्टिक हब की तरह भूमिका निभा सकता है।