रिटायर्ड अफसरों की जांच के लिए GAD की अनुमति जरूरी नहीं!

स्वतंत्र समय, भोपाल

अफसरों का कहना है कि किसी रिटायर्ड अधिकारी के विरुद्ध जांच शुरू करने के लिए जीएडी ( GAD ) की अनुमति जरूरी नहीं हैं। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने आजीविका मिशन में नियम विरुद्ध नियुक्तियों के मामले में पूर्व सीएस इकबाल सिंह बैंस सहित 3 पूर्व आईएएस के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है।  जांच एजेंसी बिना अनुमति ऐसे मामलों में जांच कर दोषियों के विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश कर सकती है। खासकर जब सीजेएम द्वारा रिपोर्ट तलब की गई हो।
बताया जाता है कि आवेदक आरके मिश्रा ने आजीविका मिशन में भ्रष्टाचार को लेकर 12 फरवरी को ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी। इस शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने कोई कार्रवाई नहीं की तो आवदेक मिश्रा ने सीजेएम कोर्ट में परिवारवाद दायर किया था।

रिटायर न होने की स्थिति में GAD की अनुमति जरूरी

जिस पर कोर्ट ने 28 मार्च तक ईओडब्ल्यू से इस मामले में की गई जांच और कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी। कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने की अपेक्षा ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन सीएस इकबाल सिंह बैंस, पूर्व आईएएस मनोज श्रीवास्तव और अशोक शाह के विरुद्ध कार्रवाई करने जीएडी से अनुमति मांग ली और इसका खुलासा भी 28 मार्च को किया, जबकि रिटायर्ड आईएएस अफसरों का कहना है कि भ्रष्टाचार के किसी मामले में लोकायुक्त या ईओडब्ल्यू को जांच प्रारंभ करने से पहले जीएडी ( GAD ) से उस स्थिति में अनुमति मांगी जाती है, जब वह व्यक्ति रिटायर्ड नहीं हुआ हो, रिटायरमेंट के बाद तो जांच एजेंसी सीधे जांच प्रारंभ कर सकती है। यानि ईओडब्ल्यू ने इस तरह से कोर्ट और शिकायतकर्ता को भी गुमराह करने का प्रयास किया है।

यह था आजीविका मिशन का मामला

ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 15 नए जिलों में 551 मिशन कर्मियों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार को लेकर आरके मिश्रा ने ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया कि तत्कालीन राज्य स्तरीय परियोजना प्रबंधक ललित मोहन बेलवाल ने 8 मार्च 2017 को प्रशासकीय स्वीकृति के लिए फाइल तत्कालीन अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इकबाल सिंह बैंस को भेजी थी। इसमें रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने की बात कही गई। जिसे बैंस ने नकार दिया और बाद में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पीएस बने मनोज कुमार श्रीवास्तव तथा अशोक शाह ने भी इस भ्रष्टाचार की शिकायत पर कोई तवज्जो नहीं दिया।

नेहा मारव्या को सौंपी थी जांच

मामले का खुलासा होने पर जांच का जिम्मा आईएएस नेहा मारव्या को सौंपा गया था। उन्होंने 8 जून 2022 को रिपोर्ट दी, जिसमें नियुक्तियों में गड़बडिय़ों की बात को स्वीकार किया था। इसके बावजूद प्रकरण दर्ज नहीं कराया गया। दो सीनियर आईएएस रहे अशोक शाह और मनोज श्रीवास्तव ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में ललित मोहन बेलवाल से सीएस इकबाल सिंह बैंस ने इस्तीफा दिलवाकर मामला दबाने की कोशिश की। उधर, शिकायतकर्ता आरके मिश्रा ने कहा-रिटायर्ड अधिकारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार से जुड़ी जांच करने के लिए जांच एजेंसी को जीएडी की अनुमति की आवश्यकता नहीं पड़ती, वह सीधे जांच कर सकती है, लेकिन ईओडब्ल्यू इस मामले को उलझाना चाहता है इसलिए अनुमति मांग रहा है।