Gautam Gambhir: मैनचेस्टर टेस्ट के बाद क्रिकेट जगत में एक नई बहस छिड़ गई है — क्या टेस्ट क्रिकेट में चोटिल खिलाड़ियों के लिए रिप्लेसमेंट की अनुमति होनी चाहिए? इस मुद्दे पर जहां भारत के पूर्व ओपनर और मौजूदा कोच गौतम गंभीर ने सकारात्मक रुख अपनाया, वहीं इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने इस विचार को “बिलकुल बेहूदा” करार देते हुए इसकी आलोचना की।
Gautam Gambhir ने रखा पक्ष: “लंबी सीरीज़ में रिप्लेसमेंट ज़रूरी”
गौतम गंभीर का मानना है कि जब कोई खिलाड़ी मैदान पर स्पष्ट रूप से घायल हो और टीम को नुकसान झेलना पड़े, तो उसे प्रतिस्थापन का अधिकार मिलना चाहिए।
“अगर किसी खिलाड़ी को गंभीर चोट लगी हो या मेडिकल स्थिति गंभीर हो, तो रिप्लेसमेंट की अनुमति मिलनी चाहिए। खासकर ऐसी लंबी सीरीज़ में जहां खिलाड़ी थकावट और चोट से जूझते हैं, वहां 10 खिलाड़ियों के साथ खेलने को बाध्य करना अनुचित है,” गंभीर ने कहा।
उनकी टिप्पणी रिषभ पंत की चोट के संदर्भ में आई। पंत को मैनचेस्टर टेस्ट के पहले दिन बल्लेबाज़ी के दौरान पैर के अंगूठे में फ्रैक्चर हो गया था। इसके बावजूद भारत ने उन्हें दूसरे दिन फिर से बल्लेबाज़ी के लिए उतारा, क्योंकि टीम मुश्किल में थी।
स्टोक्स ने Gautam Gambhir का किया विरोध: “इससे खेल का मज़ाक बनेगा”
बेन स्टोक्स ने गंभीर के विचारों से असहमति जताई और चोट के नाम पर रिप्लेसमेंट की व्यवस्था को “ग़लत दिशा में जाने वाला रास्ता” बताया।
“ये बहस ही निरर्थक है। अगर चोट के आधार पर रिप्लेसमेंट की अनुमति दी गई, तो टीमें इसमें छेद निकाल लेंगी। MRI करा के हर खिलाड़ी में कोई न कोई ‘छोटी’ समस्या दिखाकर नया खिलाड़ी शामिल कर लिया जाएगा। इससे खेल की साख को नुकसान होगा,” स्टोक्स ने पोस्ट-मैच प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा।
स्टोक्स ने यह भी स्पष्ट किया कि वे केवल कन्कशन रिप्लेसमेंट (concussion replacement) के पक्षधर हैं, क्योंकि वह खिलाड़ी की सुरक्षा से जुड़ा मामला है।
“आप MRI मशीन में किसी को भी डालें, कुछ न कुछ दिख जाएगा। कोई कहेगा घुटने में सूजन है, और टीम नए गेंदबाज़ को उतार देगी। यह नियम लागू हुआ तो इसका दुरुपयोग तय है,” उन्होंने कहा।
पंत की स्थिति ने शुरू की बहस
रिषभ पंत की चोट ने इस बहस को जन्म दिया। टेस्ट मैच के नियमों के अनुसार, पंत को विकेटकीपिंग से हटाकर उनकी जगह ध्रुव जुरेल को लगाया गया — जो पहले भी लॉर्ड्स टेस्ट में यही जिम्मेदारी निभा चुके थे। हालांकि बल्लेबाज़ी के लिए भारत के पास कोई विकल्प नहीं था। पंत के खेलने की संभावनाएं उस समय भी बनी रहीं, जब वे बैसाखी के सहारे चल रहे थे — जिससे प्रशंसकों और विशेषज्ञों में सवाल उठे कि क्या नियम पर्याप्त लचीलापन देते हैं?