मंदसौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में चंबल नदी पर बना गांधीसागर बांध भारत की इंजीनियरिंग और दूरदर्शिता का एक शानदार प्रतीक है। यह न केवल एशिया का पहला मानव निर्मित जलाशय है, बल्कि इसे उस दौर में दुनिया के सबसे कम बजट में तैयार किया गया था। करीब छह साल में बनकर तैयार हुए इस विशाल बांध का उद्घाटन 19 नवंबर 1960 को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
यह बांध आज भी मध्य प्रदेश और राजस्थान के लाखों लोगों के लिए जीवनरेखा बना हुआ है, जो सिंचाई, पेयजल और बिजली की जरूरतों को पूरा करता है। इसकी विशालता और ऐतिहासिक महत्व इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी बनाते हैं।
सबसे कम बजट में बना विशाल बांध
गांधीसागर बांध के निर्माण की सबसे खास बात इसकी लागत थी। उस समय जब देश में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे, तब इस बांध को महज 18 करोड़ 40 लाख 20 हजार रुपये में तैयार कर लिया गया था। तुलना के लिए, उसी दौर में बने भाखड़ा-नांगल बांध की लागत 236 करोड़ रुपये थी। इतने कम बजट में इतना बड़ा और महत्वपूर्ण बांध बनाना भारतीय इंजीनियरों की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
6 साल में पूरा हुआ निर्माण
इस महत्वाकांक्षी परियोजना की नींव 7 मार्च 1954 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ही रखी थी। इसके बाद दिन-रात चले निर्माण कार्य के बाद यह बांध 1960 में बनकर तैयार हो गया। इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा होने में लगभग छह साल का समय लगा। 19 नवंबर 1960 को नेहरू ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
गांधीसागर की तकनीकी खासियतें
यह बांध अपनी संरचना में भी बेहद खास है। इसकी कुल लंबाई 514 मीटर और ऊंचाई 62 मीटर है। इस बांध में 732.2 करोड़ घन मीटर पानी जमा करने की क्षमता है, जो इसे देश के सबसे बड़े जलाशयों में से एक बनाता है। इसके अलावा, यहां 115 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, जिसके लिए 23-23 मेगावाट की पांच टरबाइनें लगाई गई हैं।
चंबल घाटी परियोजना का पहला चरण
गांधीसागर बांध, चंबल घाटी परियोजना के तहत बनाए गए चार बांधों में से पहला और मुख्य बांध है। इस परियोजना का उद्देश्य चंबल नदी के पानी का उपयोग सिंचाई, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण के लिए करना था। इस श्रृंखला के अन्य तीन बांध हैं:
- राणा प्रताप सागर बांध
- जवाहर सागर बांध
- कोटा बैराज
यह चारों बांध मिलकर राजस्थान और मध्य प्रदेश के एक बड़े हिस्से को सिंचित करते हैं और बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं। गांधीसागर बांध इस पूरी परियोजना की नींव है, जो बाकी बांधों के लिए पानी के बहाव को नियंत्रित करता है। आज यह बांध न केवल एक इंजीनियरिंग का चमत्कार है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की शुरुआती कहानियों में से एक महत्वपूर्ण अध्याय भी है।