Ganesh Chaturthi 2025: इस बार बुधवार को बन रहा विशेष योग, गणेश मूर्ति खरीदते समय भूलकर भी न करें ये गलती

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाने की परंपरा बहुत प्राचीन समय से चली आ रही है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि भगवान श्री गणेश का जन्म मध्याह्न काल में, सोमवार के दिन, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। यही कारण है कि यह तिथि गणपति उपासना के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। इस वर्ष यह पर्व बुधवार, 26 अगस्त 2025 को प्रारंभ हो रहा है। चतुर्थी तिथि 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 27 अगस्त को दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि बुधवार स्वयं बुध ग्रह का दिन है और गणपति को बुद्धि का अधिपति माना गया है।

शुभ मुहूर्त में स्थापना का महत्व

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति की प्रतिमा की स्थापना शुभ मुहूर्त में करने का विशेष महत्व होता है। पंचांग और चौघड़िया के अनुसार इस बार प्रतिमा स्थापना के लिए कई शुभ समय उपलब्ध रहेंगे।
• अमृत मुहूर्त : सुबह 7:33 से 9:09 बजे तक
• शुभ मुहूर्त : 10:46 से दोपहर 12:22 बजे तक
• संध्या मुहूर्त : शाम 6:48 से रात 7:55 बजे तक

इन मुहूर्तों में की गई गणेश प्रतिमा स्थापना से घर-परिवार के सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और सुख-समृद्धि, शांति तथा मंगलकारी ऊर्जा का वास होता है।

गणपति आगमन से पहले घर की तैयारी

भगवान गणेश को “विघ्नहर्ता” और “सुखकर्ता” कहा जाता है। उनके स्वागत के लिए घर को शुद्ध और पवित्र बनाना आवश्यक है। स्थापना से पहले घर की पूरी साफ-सफाई अवश्य करें। मुख्य द्वार और घर के मंदिर को आम्रपत्र, बंदनवार और ताजे फूलों से सजाएं। स्थापना स्थल पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और हल्दी से चार मंगल बिंदियां अंकित करें। चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाकर उस पर अक्षत रखें। जब स्थापना का स्थान पहले से शुभ और पवित्र बना दिया जाता है, तब गणपति पूजन का प्रभाव और अधिक मंगलकारी माना जाता है।

गणेश प्रतिमा चयन के नियम

गणेश चतुर्थी पर प्रतिमा लाते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों और परंपरा के अनुसार गणपति की मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में होनी चाहिए। प्रतिमा के साथ उनका वाहन चूहा, रिद्धि-सिद्धि और लड्डू का थाल अवश्य होना चाहिए। मूर्ति का रंग सिंदूरी या सफेद सबसे शुभ माना जाता है। गणपति की सूंड हमेशा बाईं ओर होनी चाहिए क्योंकि यह सुख और शांति का प्रतीक है। प्रतिमा खरीदते समय कभी भी मोलभाव न करें, बल्कि इसे सम्मानपूर्वक दक्षिणा देकर घर लाएं। घर के द्वार पर आरती उतारकर मंगल गीत गाते हुए प्रतिमा को घर के भीतर लाना चाहिए।

स्थापना और पूजन की विधि

गणेश प्रतिमा की स्थापना के पश्चात उनका पूजन और आराधना श्रद्धा व भक्ति के साथ करनी चाहिए। पूजा में सबसे पहले आवश्यक सामग्री जैसे धूप, दीप, रोली, मौली, अक्षत, फूल, दुर्वा और नैवेद्य अर्पित करें। गणेश जी को मोदक और लड्डू अति प्रिय हैं, अतः इन्हें अवश्य चढ़ाएं। पूजन के बाद गणपति आरती करें और परिवार के सभी सदस्य मिलकर “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे लगाएं। यह माना जाता है कि गणेश जी की सामूहिक आराधना और भक्ति से घर-परिवार की सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में आनंद, समृद्धि व सफलता आती है।