देसी जुगाड़ से बना दिया लहसुन को ब्रांड! जानिए कैसे किसान ने ‘महाकाल लहसुन’ से रच दिया इतिहास

मध्य प्रदेश के गुना जिले के अजरोड़ा गांव के किसान जितेंद्र नागर ने लहसुन की खेती में ऐसी देसी तकनीक अपनाई है, जिससे उन्होंने न सिर्फ उत्पादन बढ़ाया, बल्कि अपने लहसुन को “महाकाल लहसुन” के नाम से पहचान भी दिला दी। जितेंद्र ने परंपरागत तरीकों को छोड़कर खेत की तैयारी और सिंचाई के खास तरीके अपनाए, जिससे एक बीघा में 18 से 20 क्विंटल तक पैदावार मिलने लगी है। पहले इसी जमीन से केवल 8 से 9 क्विंटल लहसुन ही निकलता था।

तीन साल पहले शुरू किया प्रयोग, अब बन गया उदाहरण

जितेंद्र नागर पिछले करीब 10 साल से लहसुन की खेती कर रहे हैं, लेकिन बीते 3 सालों में उन्होंने देसी प्रयोगों पर ध्यान देना शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने खेत की गहरी जुताई पांच महीने पहले ही कर ली। इसके बाद उन्होंने खुद का तैयार किया हुआ जैविक खाद और बीज उपयोग किया। उनका मानना है कि रसायनों की जगह देसी खाद से मिट्टी की ताकत बढ़ती है और पौधे मजबूत होते हैं।

सिंचाई और देखरेख बनी सफलता की चाबी

जितेंद्र की सफलता का एक और बड़ा कारण उनकी सिंचाई की तकनीक है। वे एक फसल में 7 से 8 बार संतुलित रूप से पानी देते हैं। उनका कहना है कि बहुत ज्यादा या बहुत कम पानी से लहसुन की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। साथ ही फसल की निराई-गुड़ाई और समय पर दवा छिड़काव भी वे खुद करते हैं। इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर उन्होंने ऐसा उत्पादन पाया है, जो आज क्षेत्र के दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन चुका है।

‘महाकाल लहसुन’ से मिली नई पहचान

जितेंद्र नागर ने अपने लहसुन को “महाकाल लहसुन” का नाम दिया है, जो अब लोकल मार्केट में ब्रांड बन चुका है। उनके पास अब दूर-दूर से व्यापारी आते हैं, और उनके तरीके सीखने के लिए आसपास के किसान भी उनसे संपर्क कर रहे हैं। जितेंद्र बताते हैं कि देसी तकनीक सस्ती होती है, पर्यावरण के अनुकूल होती है और मिट्टी को लंबे समय तक उपजाऊ बनाए रखती है। आने वाले समय में वे इस मॉडल को और किसानों तक पहुंचाना चाहते हैं।