दानव नहीं, देव वरण करें के संदेश के साथ गायत्री यज्ञ संपन्न

शिवनारायण कुरोलिया/अशोकनगर: अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में रविवार को समीपस्थ ग्राम धुर्रा में पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया।

खरगौन से पधारे परिव्राजक शंभूदयाल साहू ने आचार्य श्रीराम शर्मा के सतयुग की वापसी अभियान की चर्चा करते हुए कहा कि सृजन और विनाश की, उत्थान और पतन की शक्तियां इस संसार में निरंतर अपने अपने काम कराती रहती हैं। इन्हीं को देव और दानव के नाम से जाना और उनकी प्रतिक्रियाओं को स्वर्ग-नरक भी कहा जाता है। मनुष्य को यह छूट है कि दोनों में से किसी का भी वरण अपनी समझदारी के आधार पर कर ले और तदनुरूप उत्पन्न होने वाली सुख-शांति अथवा पतन-पराभव की प्रतिक्रिया सहन करे। उठने या गिरने का निश्चय कर लेने पर तदनुरूप सहायता सुविधा भी इसी संसार में यत्र-तत्र बिखरी मिल जाती है|

इच्छानुसार उन्हें बीना-बटोरा अथवा धकेला-भगाया भी जा सकता है। इसी विभूति के कारण मनुष्य को अपने भाग्य का निर्माता एवं भविष्य का अधिष्ठाता भी कहा जाता है। इसीलिए हमें देव तुल्य कर्म करना चाहिए जिससे सतयुग की वापिसी हो सके।यज्ञ में उपस्थित श्रद्धालुओं को गायत्री मंत्र की दीक्षा प्रदान की गई। जयराम, राजकुमार रघुवंशी,श्रीमती गायत्री, नैंसी, जगदीश, श्रीमती रानी, जितेन्द्र, मंगल सिंह कुशवाह, बलराम सेन, रामवीर परिहार ने गायत्री मंत्र की दीक्षा ग्रहण की।

दीक्षा में साधकों ने एक-एक बुराई का त्याग करने और एक अच्छाई अपनाने का संकल्प लिया। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के विचार क्रांति अभियान अंतर्गत जनमानस के विचारों के परिष्कार हेतु गांव-गांव गायत्री यज्ञ किये जा रहे हैं।यज्ञ के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, नशा का त्याग करने, अधिक से अधिक पेड़ लगाने का आह्वान किया जाता है। सामाजिक कुरीतियां को छोड़ने और सद्प्रवृतियों को अपनाने पर बल दिया जाता है। कार्यक्रम में गायत्री परिजन अमरसिंह रघुवंशी, रमेश शर्मा, शिवराम रघुवंशी, बलवीर सिंह यादव, अजय रघुवंशी, हरिसिंह, विजयकुमार अग्रवाल, महाराजसिंह रघुवंशी, श्रीमती कविता साहू, कमललाल साहू, ग्याप्रसाद नामदेव, भगवतसिंह यादव, देवेंद्रकुमार शर्मा सहित ग्रामवासी उपस्थित रहे।