धनतेरस से ठीक पहले राजधानी दिल्ली में Gold की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। यह खबर उन लोगों के लिए राहत लेकर आई है जो इस शुभ अवसर पर गोल्ड खरीदने की योजना बना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर चांदी की कीमतों में उछाल दर्ज किया गया है, जिससे बाजार में हलचल बढ़ गई है।
दिल्ली में सस्ता हुआ Gold
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, दिल्ली के स्थानीय बाजार में 99.9 फीसदी शुद्धता वाला सोना 200 रुपए सस्ता होकर 1,31,600 रुपए प्रति 10 ग्राम पर आ गया है। वहीं 99.5 फीसदी शुद्धता वाला सोना भी घटकर 1,31,000 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। एक दिन पहले यह 1,31,800 रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर था। इस गिरावट के बाद ग्राहकों के लिए सोना खरीदना थोड़ा सस्ता हो गया है, जिससे त्योहार के मौके पर खरीदारी बढ़ने की उम्मीद है।
चांदी में तेजी, बढ़ी मांग
सोने के मुकाबले चांदी के दामों में उछाल देखने को मिला है। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में चांदी की कीमतें 2,000 रुपए की बढ़त के साथ लगभग 1,84,000 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गईं। हालांकि, इंडियन बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 15 अक्टूबर को चांदी 1,76,467 रुपए प्रति किलो थी, जो अगले दिन 1,68,083 रुपए पर आ गई — यानी सिर्फ 24 घंटे में 8,400 रुपए प्रति किलो की गिरावट।
इस अस्थिरता के बावजूद चांदी की डिमांड में तेजी बनी हुई है क्योंकि बाजार में निवेशक इसे एक सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में Gold रिकॉर्ड स्तर पर
वैश्विक स्तर पर भी सोना 4,246.08 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिका में बढ़ते राजकोषीय संकट और वैश्विक तनावों के कारण निवेशकों ने सुरक्षित निवेश साधनों की ओर रुख किया है, जिससे सोने में तेजी बनी हुई है।
वहीं चांदी अंतरराष्ट्रीय बाजार में मामूली बढ़त के साथ 53.05 डॉलर प्रति औंस पर रही। मंगलवार को यह 53.62 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंची थी।
विशेषज्ञों की राय: निवेशकों का रुझान सोने की ओर
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष और शोध विश्लेषक जतिन त्रिवेदी का कहना है कि अमेरिका की वित्तीय अनिश्चितता के कारण निवेशक सोने में निवेश को अधिक सुरक्षित मान रहे हैं। इससे सोने की मांग में वृद्धि और कीमतों में तेजी आ रही है।
वहीं कोटक सिक्योरिटीज की एवीपी, जिंस शोध कायनात चैनवाला का कहना है कि निवेशकों का विश्वास इस उम्मीद से बढ़ा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जिससे बाजार में नई ऊर्जा देखने को मिलेगी।
कमोडिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले ही थोड़ा बहुत मुनाफावसूली का दौर देखने को मिले, लेकिन दीर्घकाल में सोने का रुख मजबूत बना रहेगा क्योंकि भू-राजनीतिक और आर्थिक कारक इस तेजी को समर्थन दे रहे हैं।