Gold-Silver Price: इंदौर में सोना ₹1.34 लाख के पार, चांदी में ₹6,000 से ज्यादा का उछाल, जानिए आज के भाव

Gold-Silver Price : इंदौर सराफा बाजार में कीमती धातुओं की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। त्योहारी सीजन और वैश्विक बाजार के संकेतों के बीच सोने और चांदी दोनों ही नए रिकॉर्ड स्तर की ओर बढ़ रहे हैं।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 22 दिसंबर 2025 को इंदौर में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹1,34,320 प्रति 10 ग्राम दर्ज की गई है। वहीं, चांदी की कीमतों में एक ही दिन में ₹6,032 की भारी तेजी देखी गई है।

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, सोने और चांदी की कीमतों में यह अस्थिरता अंतरराष्ट्रीय बाजार में चल रही उथल-पुथल का नतीजा है। निवेशक सुरक्षित निवेश के तौर पर बुलियन मार्केट की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे मांग में बढ़ोतरी हुई है।

चांदी ने पकड़ी तूफानी रफ्तार

सोने के साथ-साथ चांदी की चमक भी फीकी नहीं पड़ी है, बल्कि इसमें और भी ज्यादा तेजी देखी जा रही है। इंदौर में चांदी का भाव ₹6,032 की बढ़त के साथ ₹2,14,471 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है। इस जोरदार उछाल के बाद बाजार में अब यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या चांदी जल्द ही ₹3 लाख प्रति किलो का जादुई आंकड़ा छू सकती है।

MCX पर मार्च 2026 के सिल्वर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में भी मजबूती देखने को मिल रही है। जानकारों का कहना है कि यह तेजी केवल सट्टेबाजी नहीं है, बल्कि इसके पीछे ठोस फंडामेंटल कारण मौजूद हैं।

कीमतों में उछाल के मुख्य कारण

सराफा बाजार में आई इस तेजी के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारक जिम्मेदार हैं:

औद्योगिक मांग में वृद्धि: चांदी का उपयोग अब केवल आभूषणों तक सीमित नहीं रह गया है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV), इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में चांदी की खपत तेजी से बढ़ी है। दुनिया भर में ग्रीन एनर्जी पर फोकस बढ़ने से चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड रिकॉर्ड स्तर पर है।

भू-राजनीतिक तनाव: वैश्विक स्तर पर चल रहे जियो-पोलिटिकल तनाव के कारण निवेशक शेयर बाजार की बजाय सोने-चांदी को सुरक्षित विकल्प (Safe Haven) मान रहे हैं।

कमजोर डॉलर और सप्लाई की कमी: अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और माइनिंग कॉस्ट बढ़ने से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। नई खदानों से सीमित उत्पादन और बढ़ती मांग के बीच का अंतर कीमतों को ऊपर धकेल रहा है।

क्या 3 लाख के पार जाएगी चांदी?

चांदी की मौजूदा रफ्तार को देखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि ₹3 लाख का स्तर नामुमकिन नहीं है। हालांकि, इसमें कुछ समय लग सकता है। अगर डॉलर कमजोर रहता है और इंडस्ट्रियल डिमांड इसी तरह बनी रहती है, तो आने वाले कुछ वर्षों में चांदी यह स्तर छू सकती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि गोल्ड-सिल्वर रेश्यो अभी भी चांदी के पक्ष में है, यानी सोने के मुकाबले चांदी अभी भी सस्ती मानी जा रही है, जिससे इसमें और तेजी की गुंजाइश है।

निवेशकों के लिए सलाह

बाजार के जानकारों के मुताबिक, लंबी अवधि के नजरिए से सोना और चांदी दोनों ही निवेश के आकर्षक विकल्प बने हुए हैं। हालांकि, कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए एकमुश्त बड़ी रकम लगाने से बचना चाहिए। विशेषज्ञों की सलाह है कि निवेशकों को सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) या चरणबद्ध तरीके से खरीदारी करनी चाहिए ताकि जोखिम को कम किया जा सके।