साल 2025 के अंत में सोने-चांदी ने तोड़े रिकॉर्ड, 24 कैरेट का भाव 1.39 लाख के पार

Gold Silver Price :  साल 2025 अपने अंतिम पड़ाव पर है, लेकिन कीमती धातुओं की चमक फीकी पड़ने के बजाय और तेज होती जा रही है। सोने और चांदी की कीमतों में एक बार फिर बड़ी तेजी दर्ज की गई है। घरेलू बाजार में 24 कैरेट सोने का भाव 1,39,260 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि चांदी की कीमत 2,34,100 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

बाजार के जानकारों के मुताबिक, यह तेजी अभी थमने वाली नहीं है। प्रमुख वित्तीय संस्थान गोल्डमैन सैक्स ने साल 2026 के लिए भी बुलिश अनुमान जताया है। उनके अनुसार, अगले साल सोने की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 4,900 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है।

घरेलू बाजार में आज के ताजा भाव

भारतीय सर्राफा बाजार में आज कीमतों में उछाल देखा गया। 22 कैरेट सोने की कीमत बढ़कर 1,27,660 रुपये प्रति दस ग्राम हो गई, जो कल 1,27,360 रुपये थी। वहीं, 18 कैरेट सोने का भाव भी 1,04,210 रुपये से बढ़कर 1,04,450 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया।

शहरों के हिसाब से देखें तो दिल्ली में 22 कैरेट सोने का भाव 1,27,810 रुपये दर्ज किया गया। मुंबई में 24 कैरेट सोना 1,39,260 रुपये प्रति दस ग्राम बिका। चेन्नई में 24 कैरेट सोने की कीमत सबसे ज्यादा 1,39,870 रुपये प्रति दस ग्राम रही, जबकि भोपाल में 18 कैरेट सोना 1,04,500 रुपये के भाव पर खुला।

चांदी की चमक भी बरकरार

चांदी की कीमतों में भी भारी बढ़त देखने को मिली है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और भोपाल में एक किलो चांदी का भाव 2,34,100 रुपये हो गया है। चेन्नई के बाजार में चांदी और भी महंगी है, वहां इसका भाव 2,45,100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार का हाल

ग्लोबल मार्केट में भी कीमती धातुओं में तेजी का रुख है। आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 4,525.96 डॉलर प्रति औंस दर्ज की गई। वहीं, चांदी का हाजिर भाव 72.70 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया है।

क्यों बढ़ रहे हैं दाम?

कीमतों में इस लगातार तेजी के पीछे कई वैश्विक और स्थानीय कारण हैं। अमेरिका और वेनेजुएला के बीच बढ़ता तनाव एक प्रमुख वजह है, जिससे निवेशक सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की ओर रुख कर रहे हैं। इसके अलावा, फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती (फेड रेट कट) की बढ़ती उम्मीदें भी बाजार को सहारा दे रही हैं।

चांदी के मामले में, इसकी औद्योगिक मांग (Industrial Demand) में बढ़ोतरी और सप्लाई में कमी के चलते कीमतें आसमान छू रही हैं। विश्लेषकों का मानना है कि साल 2026 में भी यह ट्रेंड जारी रह सकता है।